Economic Survey : Export बढ़ाने के लिए नए आयामों मे विस्तार जरूरी

Economic survey में बताया गया है कि इनफ्लेशन और वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत का export बहुत अच्छा हुआ है. अब देश नए उद्योगों में नए निर्यात बाजारों की तलाश कर रहा है.

By Pranav P | July 22, 2024 5:50 PM
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Budget से पहले आए economic survey के अनुसार, भारतीय निर्यातक अपने निर्यात को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर होने वाले सभी उतार-चढ़ावों से निपटने के लिए नई-नई चीजें आजमा रहे हैं. इस सप्ताह संसद में प्रस्तुत सर्वे से पता चलता है कि भारत के कई देशों के साथ ठोस व्यापारिक संबंध हैं. यह वर्तमान की जियो पोलिटिकल सिचुएशन को देखते हुए बहुत बढ़िया है. भारत के एशिया, यूरोप और अमेरिका के साथ अच्छे व्यापारिक संबंध हैं.

Inflation के बाद भी भारत अच्छी गति पर

Economic survey में बताया गया है कि इनफ्लेशन और वैश्विक चुनौतियों के बाद भी भारत का बाहरी क्षेत्र अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. भारत विभिन्न उद्योगों में नए निर्यात बाजारों की तलाश कर रहा है. यह विविधीकरण की दिशा में एक अच्छा कदम है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, भारत के निर्यात में शीर्ष 10 देशों की हिस्सेदारी 1999-2000 में 62% से घटकर 2023-24 में 50.5% होने की उम्मीद है. पिछले 24 वर्षों में, यूएई, सिंगापुर, हांगकांग और चीन जैसे एशिया, अफ्रीका और पश्चिम एशिया के देश प्रमुख निर्यात बाजार बन गए हैं.

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Asia और Africa बनेंगे भविष्य का मार्केट

Economic survey के जरिए यह अनुमान लगाया जा रहा कि 2023-24 तक भारत का आधे से ज़्यादा निर्यात एशिया और अफ़्रीका से होगा, जबकि 1999-2000 में यह सिर्फ 43% था. पिछले साल भारत के शीर्ष निर्यात साझेदार यूएई, सिंगापुर, चीन, रूस और ऑस्ट्रेलिया थे. इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में निर्यात 5.84% बढ़कर 109.96 बिलियन डॉलर हो गया. वहीं देश का आयात 7.6% बढ़कर 172.23 बिलियन डॉलर हो गया और व्यापार घाटा अब 62.26 बिलियन डॉलर हो गया.

800 बिलियन डॉलर के export का लक्ष्य

वाणिज्य मंत्रालय इस साल 800 बिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रहा है. यह पिछले साल के 778 बिलियन डॉलर के गोल से ज्यादा है. भारत ने सेवा निर्यात मे अच्छी तेजी देखी है, 2001 में भारत 24वें स्थान की तुलना में अब दुनिया में सातवें स्थान पर है. भारत दूरसंचार और कंप्यूटर सेवाओं जैसे क्षेत्रों में भी अच्छा प्रदर्शन कर रहा है. वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं का हिस्सा होने से निर्यात बढ़ाने में मदद मिल रही है. भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स और परिधान क्षेत्रों में भी विदेशी निवेश बढ़ रहा है.

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