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Economic Survey: वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए व्यापार लागत में लानी होगी कमी, सुविधाओं में सुधार जरूरी

Economic Survey: आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से स्पष्ट है कि व्यापार लागत में कमी और व्यापारिक प्रक्रियाओं के सरलीकरण से भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकता है. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर व्यापार सुधारों को लागू करना होगा, जिससे भारत वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना सके.

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Economic Survey: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार 31 जनवरी 2025 को आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में पेश कर दिया है. आर्थिक सर्वेक्षण के के अनुसार, भारत को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए व्यापार लागत को कम करने और व्यापार सुविधाओं में सुधार करने की आवश्यकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में भारत की भागीदारी बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा को मजबूती मिलेगी.

भारत को रणनीतिक व्यापार रोडमैप अपनाने की जरूरत

आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक, बढ़ते व्यापार संरक्षणवाद और वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता के बीच भारत को एक रणनीतिक व्यापार रोडमैप अपनाने की जरूरत है. हाल के वर्षों में वैश्वीकरण की प्रवृत्ति धीमी हुई है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में नई चुनौतियां उत्पन्न हो रही हैं.

व्यापार लागत घटाने से भारत बनेगा मजबूत

रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के लिए भारत को लॉजिस्टिक्स, कस्टम प्रक्रिया और व्यापारिक बुनियादी ढांचे में सुधार करना होगा. सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारत के पास अपनी व्यापार प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने की पूरी क्षमता है. इसके लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को सक्रिय भूमिका निभानी होगी. रिपोर्ट में कहा गया है, “राज्य शासन का निर्माण करता है और निजी क्षेत्र वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करता है. यदि ये दोनों ही गुणवत्ता और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करें, तो वैश्विक व्यापार में भारत की स्थिति मजबूत हो सकती है, भले ही व्यापारिक तनाव और संरक्षणवाद बना रहे.”

भारत का बाहरी क्षेत्र बना मजबूत, सेवा क्षेत्र ने निभाई बड़ी भूमिका

सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत ने प्रतिकूल भू-राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद मजबूत आर्थिक प्रदर्शन किया है. हालांकि वैश्विक मांग में सुस्ती के कारण निर्यात में मामूली वृद्धि दर्ज की गई है, लेकिन मजबूत घरेलू मांग के चलते आयात में वृद्धि हुई है. इसके अलावा, बढ़ते विदेशी प्रेषण और सेवा क्षेत्र की मजबूती ने व्यापार घाटे के प्रभाव को कम करने में मदद की है. रिपोर्ट के अनुसार, यदि भारत व्यापार लागत कम करने और दक्षता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करता है, तो वैश्विक बाजारों में इसकी स्थिति और मजबूत होगी.

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व्यापार सुधारों से दीर्घकालिक आर्थिक विकास को मिलेगी गति

आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 इस बात का भी जिक्र किया गया है कि सरकार और उद्योग जगत के संयुक्त प्रयास से भारत उभरते वैश्विक व्यापार परिदृश्य की चुनौतियों का सामना कर सकता है. रिपोर्ट के अनुसार, व्यापार बाधाओं को दूर कर भारत उच्च पूंजी निर्माण और निरंतर आर्थिक विकास हासिल कर सकता है. आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 से स्पष्ट है कि व्यापार लागत में कमी और व्यापारिक प्रक्रियाओं के सरलीकरण से भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ सकता है. निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर व्यापार सुधारों को लागू करना होगा, जिससे भारत वैश्विक बाजार में अपनी मजबूत पकड़ बना सके.

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