Budget से पहले आए Economic Survey मे कहा गया है कि आजकल आम नागरिक शेयर बाजार में उतर रहे हैं जिस कारण शेयर बाजार मे दिक्कतें आ सकती है. अच्छी बात यह है कि ज्यादा आम निवेशकों से बाजार स्थिर रखने में मदद मिल मिलती है. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि ये निवेशक वायदा और विकल्प में भी हाथ आजमा रहे हैं और देश मे बाजार की गतिविधियों में उछाल आया है. आम आदमी डायरेक्ट या म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर खरीद और बेच रहे हैं. Survey के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में इक्विटी कैश सेगमेंट टर्नओवर में खुदरा निवेशकों की हिस्सेदारी करीब 35.9% थी. डिपॉजिटरीज में डीमैट खातों की संख्या 11.45 करोड़ से बढ़कर 15.14 करोड़ हो गई है.
Share market मे बढ़े हैं नए निवेशक
नए निवेशकों के बाजार में उतरने का असर नए साइन-अप, उनके बाजार हिस्से, निवेश और सूचीबद्ध कंपनियों में स्वामित्व के माध्यम से देखा जा सकता है. मार्च 2020 से NSE में पंजीकृत निवेशकों की संख्या लगभग तीन गुनी हो गई है, जो 31 मार्च 2024 तक 9.2 करोड़ तक पहुंच जाएगी. इसका मतलब है कि अब 20 प्रतिशत भारतीय परिवार शेयर मार्केट में हाथ आजमा रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार शेयर बाजार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती संख्या पर नजर रखने की जरूरत है. इन हरकतों से अधिक रिटर्न के लिए अति आत्मविश्वास और जोखिम भरी अटकलें लग सकती हैं, जो जरूरी नहीं कि वास्तविक बाजार स्थितियों को दर्शाती हों.
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Technology ने दिया है बढ़ावा
टेक्नोलॉजी में प्रगति, सरकारी सहायता और स्मार्टफोन की पहुँच के कारण निवेश अधिक लोकप्रिय हो रहा है. लोग किफायती स्टॉक ट्रेडिंग, रियल एस्टेट और सोने के निवेश के माध्यम से पैसे कमाने के नए तरीके तलाश रहे हैं. हालाँकि, सभी निवेश उच्च लाभ की गारंटी नहीं देते हैं. कई व्यक्ति भारत में रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए अपने शेयर बाजार की कमाई का उपयोग कर रहे हैं, जबकि अन्य लोग सट्टेबाजी के लिए डेरिवेटिव में हाथ आजमा रहे हैं.
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