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Budget 2024: इस बार बजट में नहीं आएगा इकोनॉमिक सर्वे, वित्त मंत्रालय ने जारी की रिपोर्ट, 7% रह सकता है GDP

Economic Survey 2024: वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग इस बार की आर्थिक समीक्षा पेश की है. इसमें दावा किया गया है कि इस बार भारत का जीडीपी सात प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है.

Economic Survey 2024: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के द्वारा अंतरिम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है. इससे पहले वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले आर्थिक मामलों के विभाग (Department of Economic Affairs) इस बार की आर्थिक समीक्षा पेश की है. इसमें दावा किया गया है कि इस बार भारत का जीडीपी सात प्रतिशत के आसपास रहने की संभावना है. विभाग ने The Indian Economy: A Review के नाम से इस रिपोर्ट को जारी किया है. इसके साथ ही बताया गया है कि इस बार बजट के साथ इकोनॉमिक सर्वे नहीं छापी जाएगी. सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर मंत्रालय ने लिखा कि वित्त मंत्रालय द इंडियन इकोनॉमी – ए रिव्यू जारी किया गया. समीक्षा में दो अध्याय हैं और यह भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और पिछले 10 वर्षों में इसकी यात्रा का जायजा लेती है और आने वाले वर्षों में अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करती है.


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इकोनॉमिक सर्वे में होती है सरकार के काम की समीक्षा

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से शुरू होने वाला है. इसके दूसरे दिन, वित्त मंत्री के द्वारा अंतरिम बजट पेश किया जाना है. परंपरा के अनुसार, बजट सत्र से एक दिन पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जाती है. इसमें सरकार के द्वारा बताया जाता है कि पिछले बजट में उसके द्वारा तय किये गए लक्ष्यों को कितना हासिल किया गया. कुल मिलाकर ये सरकार के एक वर्ष के काम की समीक्षा होती है. सरकार के द्वारा आज प्रस्तुत किया गया रिव्यू रिपोर्ट एक तरह से आर्थिक समीक्षा की भरपाई है. रिपोर्ट में सरकार के द्वारा बताया गया है कि सोशल मीडिया पर पेश की गयी रिपोर्ट आर्थिक मामलों के विभाग के द्वारा तैयार की जाने वाली आर्थिक समीक्षा नहीं है. हालांकि, रिपोर्ट को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन के ऑफिस से ही तैयार किया है.

क्यों की जा रही बेहतर उम्मीद

रिपोर्ट में घरेलू मांग और बेहतर निवेश के कारण जीडीपी के 7% रहने का अनुमान जताया जा रहा है. रिपोर्ट में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने पर आर्थिक सुधारों में निरंतरता का संकेत दिये गये हैं. मोदी सरकार के दो कार्यकालों को ध्यान में रखते हुए, इसमें कहा गया है कि यह 10 साल की यात्रा कई सुधारों द्वारा चिह्नित है, दोनों ठोस और वृद्धिशी. इन सुधारों ने एक आर्थिक लचीलापन भी प्रदान किया है जिसकी देश को अप्रत्याशित वैश्विक झटकों से निपटने के लिए आवश्यकता होगी. भारत, जो मौजूदा बाजार मूल्यों पर 1.9 ट्रिलियन डॉलर की जीडीपी के साथ दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी, अब 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमानित वित्त वर्ष 24) के साथ 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. कोविड महामारी के बावजूद विकास की उम्मीद है.

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