31 जनवरी को खुलेगी सरकार की पोल, आर्थिक सर्वेक्षण में होगा राजफाश, जानें कैसे?

Economic Survey: 2024 में भारत की अर्थव्यवस्था ने सकारात्मक प्रदर्शन किया, और 2025 में भी वृद्धि जारी रहने की संभावना है. सरकार की नीतियों, डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया और स्किल डेवलपमेंट योजनाओं के कारण भारत वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक मजबूत खिलाड़ी बना रहेगा.

By KumarVishwat Sen | January 29, 2025 5:53 PM
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Economic Survey: निर्मला सीतारमण संसद में 1 फरवरी 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सालाना बजट पेश करेंगी. इससे पहले, 31 जनवरी को सरकार की पोल खुल जाएगी कि उसने वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान क्या किया है और उसने देश की आम अवाम से वादा क्या किया था? उसने किस काम को पूरा करने में कोताही बरती और किस काम के लिए निर्धारित रकम से अधिक राशि खर्च की गई? सरकार की पोल खोलने वाली इस रिपोर्ट को आर्थिक समीक्षा या आर्थिक सर्वेक्षण कहा जाता है. आइए, विस्तार से समझते हैं कि साल 2024 में पेश की गई आर्थिक समीक्षा में क्या कहा गया था और 2025 में क्या कहने का अनुमान है.

2024 की आर्थिक समीक्षा का सार

2024 की आर्थिक समीक्षा के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था ने 8.2% की वृद्धि दर हासिल की, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद एक सकारात्मक संकेत है. महंगाई दर में भी कमी आई, जो 2022-23 में 6.7% थी. वह 2023-24 में घटकर 5.4% पर आ गई. व्यापार घाटा 121 बिलियन डॉलर से घटकर 78 बिलियन डॉलर रह गया और चालू खाता घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के 2% से कम होकर 0.7% पर आ गया. विदेशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा भेजी गई राशि में वृद्धि हुई, जिससे भारत विश्व का सबसे अधिक रेमिटेंस प्राप्त करने वाला देश बन गया.

2025 की आर्थिक सर्वेक्षण का अनुमान

2025 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण के लिए अनुमान लगाया गया है कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% से 7% के बीच रहेगी. महंगाई दर के 4.5% तक कम होने की उम्मीद है. हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों की कीमतें उच्च बनी रह सकती हैं, लेकिन उन्हें नियंत्रित करने के प्रयास जारी रहेंगे. रोजगार के क्षेत्र में स्नातक करने वाले 49% युवाओं में कौशल की कमी पाई गई है, जिसे सुधारने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं.
हालांकि, समाचार एजेंसी रॉटर्स रिपोर्ट्स में 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 6.4% रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले चार वर्षों में सबसे धीमी होगी. इसका कारण विनिर्माण क्षेत्र की कमजोरी और कॉर्पोरेट निवेश में कमी बताया गया है. इसके साथ ही, शहरी क्षेत्रों में वेतन वृद्धि की धीमी गति के कारण उपभोक्ता खर्च पर असर पड़ा है.

2024 की आर्थिक समीक्षा की प्रमुख बातें

  • जीडीपी वृद्धि दर: 2023-24 के दौरान भारत की जीडीपी वृद्धि दर 8.2% रही, जो दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज थी. यह वृद्धि कृषि, सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में सुधार के कारण संभव हुई.
  • महंगाई और मौद्रिक नीति: भारतीय रिजर्व (आरबीआई) द्वारा अपनाई गई मौद्रिक नीतियों के कारण महंगाई दर 5.4% तक सीमित रही, जो 2022-23 के 6.7% से कम थी. खाद्य महंगाई में कमी और तेल की कीमतों में स्थिरता ने इसे नियंत्रित करने में मदद की.
  • व्यापार और चालू खाता घाटा: भारत का व्यापार घाटा 121 बिलियन डॉलर से घटकर 78 बिलियन डॉलर रह गया, जिससे चालू खाता घाटा जीडीपी के 0.7% तक सीमित हो गया. निर्यात क्षेत्र में वृद्धि और आयात में कमी के कारण यह संभव हो सका।
  • रोजगार और कौशल विकास: 2024 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में स्नातक युवाओं में से लगभग 49% को उद्योगों के अनुकूल कौशल की कमी थी. इस कमी को दूर करने के लिए सरकार ने स्किल इंडिया और पीएम कौशल विकास योजना जैसी पहलों को और मजबूत किया.
  • डिजिटल और स्टार्टअप सेक्टर का विकास: भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम तेजी से विकसित हुआ, जिससे डिजिटल इंडिया और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों को बढ़ावा मिला. यूनिकॉर्न स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ी और विदेशी निवेश में भी उछाल देखा गया.

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2025 की आर्थिक समीक्षा का अनुमान

  • अनुमानित जीडीपी वृद्धि दर: 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5% से 7% के बीच रहने की उम्मीद है. यह दर वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बावजूद स्थिर रहेगी.
  • महंगाई नियंत्रण में सुधार: महंगाई दर को और घटाकर 4.5% तक लाने की संभावना है. आरबीआई की नीतियां और सप्लाई चेन में सुधार इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.
  • रोजगार और निवेश में वृद्धि: सरकार रोजगार सृजन और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई (प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव) जैसी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करेगी. आईटी और विनिर्माण क्षेत्र में नौकरियों की संख्या बढ़ सकती है.
  • हरित ऊर्जा और स्थायी विकास: 2025 में सौर ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहन और हरित हाइड्रोजन जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ने की संभावना है, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा और निर्यात क्षमता में वृद्धि होगी.
  • वैश्विक और भू-राजनीतिक चुनौतियां: चीन-अमेरिका व्यापार विवाद, रूस-यूक्रेन युद्ध और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी वैश्विक चुनौतियां भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकती हैं.

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