वैश्विक महामारी कोरोना का सामना करने के बाद आज लोग इस बात की अहमियत को अच्छी तरह से समझ चुके हैं कि कोई भी परेशानी बुलावा देकर नहीं आती. ऐसे में हमें अच्छे दिनों में ही बुरे वक्त की तैयारी कर लेनी चाहिए. इमरजेंसी फंड एक ऐसा ही निवेश है, जो अचानक से आयी मुसीबत का सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस फंड को बनाने की दिशा में निवेश कर आप तत्काल आयी मुसीबत का सामना करने के लिए खुद को तैयार कर सकते हैं.
विशेषज्ञों की मानें तो इमरजेंसी फंड वह जरूरी कोष होता है, जिसे आपात स्थिति से निपटने के लिए अलग रखना चाहिए. यह फंड हमेशा लिक्विड फॉर्म में होना चाहिए यानी जब भी आपको इसकी जरूरत पड़े, आप जल्द-से-जल्द इसे प्राप्त कर सकें. किसी भी व्यक्ति को इमरजेंसी फंड में इतनी राशि रखनी चाहिए, जिससे वह अचानक नौकरी चली जाने जैसी स्थिति में न्यूनतम छह से नौ महीनों तक अपने खर्चों का वहन कर सके.
बेहतर होगा कि इन खर्चों में घरेलू जरूरतों और बच्चों की स्कूल फीस के साथ-साथ पर्सनल लोन, होम लोन, किसी तरह की ईएमआई एवं बीमा प्रीमियम को भी शामिल किया जाये. विशेषज्ञ यह भी बताते हैं कि हममें से कई लोग अपने बचत खाते में जमा राशि को इमरजेंसी फंड समझने की भूल कर बैठते हैं. ऐसा करना ठीक नहीं, क्योंकि सेविंग अकाउंट से अन्य कई तरह के खर्च होते रहते हैं, जबकि रोजमर्रा की घटती-बढ़ती जरूरतों के लिए इमरजेंसी फंड को हाथ लगाना ठीक नहीं.
विशेषज्ञ इमरजेंसी फंड को दो हिस्सों में बांटने की सलाह देते हैं. पहला-लांग टर्म इमरजेंसी फंड और दूसरा शॉर्ट टर्म इमरजेंसी फंड. लांग टर्म इमरजेंसी फंड आपको किसी प्राकृतिक आपदा या फिर मेडिकल इमरजेंसी या फिर बड़ी दुर्घटना के समय काम आ सकता है. कोशिश करें कि इस फंड के लिए निवेश का ऐसा विकल्प चुनें, जिसमें ब्याज अधिक मिले.
वहीं, शॉर्ट टर्म इमरजेंसी फंड की जरूरत आपको घर या ऑफिस की अचानक मरम्मत कराने, इंश्योरेंस में कवर न होने वाली बीमारी का इलाज या मामूली सर्जरी के लिए, घर में चोरी होने या फिर अचानक गाड़ी चोरी हो जाने की स्थिति में पड़ सकती है. शॉर्ट टर्म इमरजेंसी फंड ऐसा होना चाहिए जहां से आप आपात स्थिति में तुरंत पैसे निकाल सकें. इस तरह के फंड में ब्याज पर अधिक ध्यान नहीं देना चाहिए.
इमरजेंसी फंड बनाने के लिए विशेषज्ञ सेविंग अकाउंट से इतर ऐसी स्कीमों में निवेश करने की सलाह दे रहे हैं, जहां छोटी अवधि में अच्छा रिटर्न प्राप्त किया जा सकता है. इसके लिए आप निम्न विकल्पों में निवेश कर सकते हैं –
इमरजेंसी फंड बनाने के लिए आप एक वर्ष का फिक्स्ड डिपॉजिट भी करा सकते हैं. अधिकांश बैंकों में न्यूनतम एफडी 1000 रुपये से शुरू होती है. अधिकतम राशि कुछ भी हो सकती है. हालांकि इस एफडी पर रिटर्न काफी कम मिलता है, लेकिन आपका इमरजेंसी फंड सुरक्षित रहता है.
कोई भी निवेशक एक वर्ष तक की अवधि वाले आरडी को 10 वर्ष तक के लिए आगे बढ़ा सकता है. पोस्ट ऑफिस में आरडी पर 7.3 फीसदी सालाना ब्याज मिल रहा है. वहीं अलग-अलग बैंकों में 7.5 फीसदी तक ब्याज है. इसे कम से कम 10 रुपये से शुरू किया जा सकता है. इमरजेंसी फंड के लिए आप आरडी के विकल्प को भी चुक सकते हैं.
लिक्विड फंड म्यूचुअल फंड की डेट कैटेगरी में आते हैं. ये स्कीमें बहुत छोटी अवधि के मार्केट इंस्ट्रूमेंट में निवेश करती हैं. लिक्विड फंड सेविंग बैंक अकाउंट के मुकाबले थोड़ा ज्यादा रिटर्न देते हैं. इनमें लिक्विडिटी की भी कोई समस्या नहीं होती, यानी आप जब चाहें अपना पैसा निकाल सकते हैं. इसी के चलते इमरजेंसी फंड बनाने के लिए निवेशकों के बीच इनकी लोकप्रियता बढ़ रही है. इन फंडों से पैसे निकालने के आवेदन करने के एक दिन के भीतर आपके खाते में पैसा आ जाता है.
इमरजेंसी फंड बड़े फंड होते हैं, ऐसे में कम जोखिम की म्युचुअल फंड स्कीम में एसआईपी के जरिये इनमें निवेश करना एक उपयुक्त विकल्प माना जाता है. हर महीने की एसआईपी इस बात पर निर्भर करती है कि आप साधारण रिटर्न के साथ कितने साल में फंड के बराबर रकम जोड़ना चाहते हैं. उदाहरण के लिये अगर आप चाहते हैं कि अगले दो साल में आपके पास दो लाख रुपये का इमरजेंसी फंड हो तो आठ प्रतिशत का रिटर्न देने वाली किसी औसत स्कीम में आप करीब 8500 रुपये की एसआईपी के साथ ये फंड इस अवधि में तैयार कर सकते हैं.
कई बार लोग इमरजेंसी फंड का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उसके बाद वापस इसे तैयार करने में लापरवाही बरतते हैं. जबकि सही यह है कि एक बार फंड इस्तेमाल हो जाने के बाद जैसे ही आपकी आर्थिक स्थिति सुधरने लगे आप इस फंड को फिर से उसकी सीमा तक तैयार करें.
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