Home Loan-Car Loan EMI : अगर आपने लोन लेकर कार या घर खरीदा है, तो आपके लिए एक बेहद ही महत्वपूर्ण खबर है. कोरोना संकट के इस दौर में आपके होम लोन और कार लोन की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ सकती है. देश के सबसे बड़े कर्जदाता बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) ने होम लोन की ब्याज दर में करीब चौथाई फीसदी बढ़ोतरी कर दी है. बैंक ने कम ब्याज दर पर दिए जाने वाले होम लोन की योजना को वापस ले लिया है.
एसबीआई के इस कदम से होम लोन की ब्याज दरें पहले वाली स्थिति में आ गई हैं. ऐसे में अंदाजा यह भी लगाया जा रहा है कि एसबीआई के बाद देश के दूसरे बैंक भी ब्याज दरों में इजाफा कर सकते हैं. इकोनॉमिक टाइम्स की एक खबर के अनुसार, सबसे बड़े बैंक एसबीआई के बाद देश के दूसरे बैंक भी अपनी ब्याज दरों में बढ़ोतरी की घोषणा कर सकते हैं.
पैसा बाजार के सीईओ और सह-संस्थापक नवीन कुकरेजा के अनुसार, होम लोन की विशेष योजना वापस लेने से ब्याज दर में 25 बेसिस प्वॉइंट्स का अंतर होगा, लेकिन इसका व्यापक असर पड़ेगा. इसका कारण यह है कि एसबीआई के बाद दूसरे बैंक भी इस तरह के कदम उठा सकते हैं. होम लोन देने वाली बड़ी कंपनी एचडीएफसी ने 29 महीने के बाद अपनी फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) योजना पर ब्याज दर 10-25 बेसिस प्वाइंट्स बढ़ा दी है. ऐसे में उसके फंड की लागत बढ़ी है, जिसका सीधा असर लोन की ब्याज दर पर भी पड़ने की संभावना है, जिसका सीधा असर लोन की मासिक किस्त यानी ईएमआई पर पड़ेगा.
लोन पर ब्याज दर बढ़ने की स्थिति में ग्राहकों के ऊपर बोझ बढ़ना भी मुमकिन है. ऐसे में, उन्हें यह कदम उठाना होगा कि जब बैंकों की ओर से ब्याज दरें बढ़ा दी जाएं, तो ग्राहकों को फिक्स्ड रेट पर लोन लेना फायदेमंद साबित होगा. विशेषज्ञों के अनुसार, ब्याज की दरें बढ़ रही हैं, इसलिए फिक्स्ड रेट पर कार, होम या दूसरे लोन लेना फायदेमंद रहेगा. इसकी वजह यह है कि इसमें इंटरेस्ट रेट कम बना रहता है. होम लोन के नए ग्राहकों के पास इस मामले में ज्यादा विकल्प नहीं है, क्योंकि कुछ ही संस्थान फिक्स्ड रेट पर होम लोन देते हैं.
आम तौर पर बैंक ब्याज दरें बढ़ने पर ग्राहकों को लोन की अवधि या ईएमआई बढ़ाने का विकल्प देते हैं. हालांकि, लोन की अवधि बढ़ाने का विकल्प सभी ग्राहकों को नहीं मिलता. विशेषज्ञों के अनुसार, बैंक आम तौर पर लोन की असल अवधि या ग्राहक के रिटायरमेंट की अवधि से ज्यादा बढ़ाने की इजाजत नहीं देते. इसलिए कई ग्राहकों के पास अपफ्रंट पेमेंट कर ईएमआई की अवधि स्थिर रखने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं होता. अगर आपकी मासिक आमदनी इजाजत देता है, तो आपको लोन की अवधि में बदलाव नहीं करना चाहिए. आपको बैंक को ईएमआई बढ़ाने के लिए कहना चाहिए. इससे आपकी ब्याज की टोटल रकम भी नहीं बढ़ेगी.
Posted by : Vishwat Sen
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