नई दिल्ली : कोरोना महामारी के बाद भारत की विमानन कंपनियों के सामने एक नया संकट खड़ा हो गया है. खबर यह है कि वेतन बढ़ोतरी को लेकर विमानन कंपनियों में कर्मचारियों का असंतोष बढ़ता ही जा रहा है. एक ओर कोरोना महामारी के बाद उड़ान सेवाएं शुरू होने के बाद विमानन कंपनियां अच्छे दिन लौटने की उम्मीद कर रही हैं, वहीं दो साल से वेतन नहीं बढ़ाए जाने से इन कंपनियों के कर्मचारियों में असंतोष बना हुआ है. आलम यह कि कई विमानन कंपनियों के कर्मचारी बीमारी का बहाना बनाकर अवकाश पर चले गए हैं. अवकाश पर जाने वाले कर्मचारियों में ज्यादातर इंडिगो और गो फर्स्ट के तकनीशियन हैं.
हालांकि, कर्मचारियों की कमी के बावजूद कुछेक घटनाओं को छोड़कर इंडिगो और गो फर्स्ट के अपनी उड़ानों का परिचालन सुचारू रखने में सफल रही हैं. इन एयरलाइन में कर्मचारियों की कमी की एक और प्रमुख वजह आकाश एयर, पुनर्गठित जेट एयरवेज और टाटा के स्वामित्व वाली एयर इंडिया द्वारा चलाया जा रहा भर्ती अभियान भी है. गत दो जुलाई को इंडिगो की करीब 55 प्रतिशत घरेलू उड़ानों में देरी हुई, क्योंकि इसके चालक दल की एक बड़ी संख्या छुट्टी पर चली गई थी.
सूत्रों का कहना है कि ये कर्मचारी बीमारी का अवकाश लेकर कथित रूप से एयर इंडिया में चल रही नियुक्ति गतिविधियों में भाग लेने गए थे. 13 जुलाई को स्पाइसजेट के कुछ पायलटों ने संदेश दिया कि एयरलाइन के कप्तान और ‘फर्स्ट ऑफिसर’ अपने कम वेतन के विरोध में बीमारी के अवकाश पर जा रहे हैं. हालांकि, एयरलाइन ने कहा कि उस दिन सभी पायलट काम पर आए थे. महामारी के चरम के दौरान भारतीय एयरलाइन कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में कटौती की थी. ज्यादातर अब भी अपने कर्मचारियों को कम वेतन दे रही हैं और उन्होंने उन्हें ‘पूरा’ वेतन देना शुरू नहीं किया है.
एक किफायती विमानन सेवा कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी ने कहा कि कर्मचारी इस बात को जानते हैं कि उनके ऊपर इस समय काम का बोझ महामारी से पहले के समय जितना है, लेकिन उनको कम वेतन दिया जा रहा है. साथ ही महंगाई की वजह से उनकी स्थिति और खराब है. उन्होंने कहा कि इससे कर्मचारियों में असंतोष है. विशेष रूप से नीचे के पदों पर कार्यरत तकनीशियनों आदि में काफी नाराजगी है. विरोध में शामिल रहने वाले दो तकनीकी कर्मचारियों ने कहा कि किफायती सेवाएं देने वाली एयरलाइन में नए लोगों को 8,000 से 15,000 रुपये का वेतन ही दिया जा रहा है, जो काफी कम है.
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हालांकि, कम वेतन का मुद्दा अभी उठ रहा है, लेकिन विरोध से पता चलता है कि विमानन उद्योग में यह स्थिति काफी समय से है. पिछले साल सितंबर और नवंबर में दो बार ऐसे मौके आए, जब स्पाइसजेट के कर्मचारी दिल्ली हवाईअड्डे पर कम वेतन के विरोध में हड़ताल पर चले गए. इनमें ज्यादातर कर्मचारी सुरक्षा विभाग और विमान रखरखाव से जुड़े थे. दिसंबर, 2020 में विमानन क्षेत्र की सलाहकार कंपनी कापा (सीएपीए) इंडिया की रिपोर्ट में कहा था कि भारतीय विमानन क्षेत्र में मानव संसाधन प्रबंधन पर बाद में ध्यान दिया जाता है और यह स्थिति 2003-04 से है. रिपोर्ट में कहा गया था कि सैकड़ों विमान खरीद लिए जाते हैं और उन्हें बेड़े में शामिल कर लिया जाता है, लेकिन इस बात पर ध्यान नहीं दिया जाता कि इनके परिचालन के लिए कुशल श्रमबल की जरूरत है.
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