EPF News: प्रवीण चंद्र मिश्रा- क्या आप जानते हैं कि इपीएफ में जुड़े रहनेवालों के लिए सरकार की एक अलग जीवन बीमा करती है, जिसे एंप्लाइ डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंश (इडीएलआइ) स्कीम कहा जाता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें कोई भी बीमा कंपनी नहीं जुड़ी होती है. यह पूरी तरह सरकारी बीमा योजना है. इस योजना के तहत कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर अंतिम औसत सैलेरी की तीस गुना राशि तक कंपनसेशन मिलता है.
इस योजना की एक ही शर्त है कि व्यक्ति को इपीएफ का सक्रिय सदस्य होना चाहिए. नौकरी बदलने की स्थिति में अगर पीएफ मर्ज नहीं होता है, तो भी इस स्कीम का फायदा मिलता है. इसकी दूसरी खासियत यह है कि इसके लिए आपको किसी तरह का अलग से भुगतान नहीं करना पड़ता है.
अधिकतम सात लाख रुपये का मिलता है लाभ: केंद्र सरकार ने 2018 में इडीएलआइ स्कीम 1976 के तहत न्यूनतम बीमा कंपनशेसन दो साल के लिए 2.5 लाख रुपये निर्धारित किया था. इसकी अवधि अब बढ़ा दी गयी है. वहीं, 28 अप्रैल 2021 के अपने नोटिफिकेशन में सरकार ने इडीएलआइ योजना के तहत अधिकतम लाभ छह लाख से बढ़ा कर सात लाख कर दिया है.
बीमा का लाभ लेने के लिए करना पड़ता है आवेदन: इस योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन करना जरूरी है. कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर उसके नॉमिनी को बीमा क्लेम करने के लिए फॉर्म-5एफ भर कर पीएफ ऑफिस में जमा करना होता है. इस फॉर्म को पीएफ के वेबसाइट से ऑनलाइन प्राप्त किया जा सकता है. इसका वेरिफिकेशन पीएफ ऑफिस द्वारा कंपनी से कराया जाता है.
अगर किसी कारण से कंपनी दूसरी कंपनी में मर्ज हो गयी हो तो, इस फार्म को किसी गजेटेड ऑफिसर से सर्टिफाइ कराने के बाद जमा करना होगा. फॉर्म जमा होने के 30 दिनों के अंदर बीमा कंपनशेसन का भुगतान होता है. हालांकि, फॉर्म जमा करने के लिए कोई समयसीमा निश्चित नहीं है.
इतना होता है कर्मचारी का कंट्रिब्यूशन: इपीएफ में होनेवाले नियोक्ता की तरफ से देय 12.5 प्रतिशत राशि में से 0.5 प्रतिशत राशि प्रति माह इस मद में जमा होता है, लेकिन इसकी अधिकतम राशि 75 रुपये प्रतिमाह से अधिक नहीं हो सकती. यानी एक कर्मचारी से अधिकतम 75 रुपये प्रतिमाह (900 रुपये प्रति वर्ष ) प्रीमियम के रूप में जमा होते जाता है. अगर 0.5 प्रतिशत 100 रुपये होता है तो भी इस योजना में मात्र 75 रुपये ही जमा होंगे. इस तरह 30 साल की नौकरी में मात्र 27,000 रुपये जमा होते हैं.
Posted by: Pritish Sahay
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