EPF News: जॉब चेंज करने के तुरंत बाद पीएफ खाते से मत निकालें पैसा, वर्ना हो जाएगा बड़ा नुकसान, जानिए कैसे?
प्राइवेट सेक्टर और खासकर आईटी और मीडिया सेक्टर में 2 या 3 साल में जॉब चेंज करने का चलन है, लेकिन नौकरी बदलने के तुरंत बाद प्रीवियस कंपनी की ओर से पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड में जमा कराई गई पूरी रकम को निकालना घाटे का सौदा साबित हो सकता है
EPF Latest News : क्या आप प्राइवेट सेक्टर के किसी कंपनी में जॉब करते हैं? क्या आपको हर दो-तीन साल पर जॉब चेंज करनी पड़ती है? अगर हां, तो आपके लिए एक सुझाव है और वह यह कि आप जॉब चेंज करने के तुरंत बाद आप अपने पीएफ खाते से सैलरी से काटकर जमा की गई पूरी रकम की निकासी मत करें. अगर आपने ऐसा किया, तो आपको बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है. आइए जानते हैं कि प्राइवेट सेक्टर में बार-बार नौकरी बदलने वाले जॉब चेंज करने के साथ ही अपने पीएफ खाते से पूरी करम निकाल लेते हैं, तो उन्हें कितना बड़ा नुकसान होता है.
क्या है खतरा?
आम तौर पर प्राइवेट सेक्टर और खासकर आईटी और मीडिया सेक्टर में 2 या 3 साल में जॉब चेंज करने का चलन है, लेकिन नौकरी बदलने के तुरंत बाद प्रीवियस कंपनी की ओर से पीएफ यानी प्रोविडेंट फंड में जमा कराई गई पूरी रकम को निकालना घाटे का सौदा साबित हो सकता है. इसका कारण यह है कि जॉब चेंज करने के साथ ही आपने पीएफ खाते को पूरी तरह से खाली कर दिया, तो आपको हर वित्त वर्ष में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज का फायदा नहीं मिल सकेगा और फिर आपका भविष्य खतरे में पड़ सकता है.
जमा रकम पर कितना मिलता है ब्याज?
बता दें कि सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों के भविष्य की चिंता करने वाला संगठन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन यानी ईपीएफओ कर्मचारी और जॉब देने वाले नियोक्ता से रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों के हित के लिए बराबर-बराबर राशि की कटौती करता है. अभी इस रकम पर ईपीएफओ 8.5 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करता है. फिलहाल, सरकारी या प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों की सैलरी से 12 फीसदी की रकम पीएफ यानी भविष्य निधि के लिए काटी जाती है और उतनी ही राशि यानी 12 फीसदी रकम नियोक्ता को भी देना पड़ता है. कुल मिलाकर यह कि यदि कर्मचारी नौकरी बदलने के साथ ही पूरी रकम निकाल लेता है, तो उसे पीएफ खाते में जमा रकम पर 8.5 फीसदी ब्याज का नुकसान हो सकता है.
इसे ऐसे समझें
प्राइवेट सेक्टर में 2 से 3 साल में नौकरी बदलने का चलन है, लेकिन नौकरी बदलने के साथ पूर्व कंपनी के पीएफ का पूरा पैसा निकालना आपके लिए घाटे का सौदा हो सकता है. इससे आपके भविष्य के लिए बन रहा बड़ा फंड और बचत खत्म हो जाती है. साथ ही, पेंशन की निरंतरता नहीं रहती है. बेहतर होगा कि नई कंपनी ज्वाइन करने के बाद पीफ को पुरानी कंपनी के खाते साथ जोड़ दें यानी मर्ज कर दें. रिटायरमेंट के बाद भी अगर आपको पैसे की जरूरत नहीं है, तो कुछ साल के लिए पीएफ की रकम को अपने खाते में छोड़ सकते हैं.
3 साल तक मिलता रहेगा ब्याज
अगर आप रिटायरमेंट के बाद भी पीएफ का पैसा नहीं निकालते हैं, तो तीन साल तक ब्याज मिलता रहता है. तीन साल के बाद ही इसे निष्क्रिय खाता माना जाता है. ये इपीएफओ का नियम है. पीएफ की राशि को ज्यादातर लोग भविष्य की सुरक्षित निधि के तौर पर जमा करके रखते हैं.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अगर आप विशेषज्ञों की मानें, तो अगर कर्मचारी नौकरी छोड़ते हैं या उन्हें किसी वजह से नौकरी से निकाला जाता है, तब भी आप अपना पीएफ कुछ साल के लिए छोड़ सकते हैं. अगर आपको पीएफ के पैसे की जरूरत नहीं है, तो इसे तुरंत न निकालें. जॉब चेंज करने के बाद भी पीएफ पर ब्याज मिलता रहता है और नया रोजगार मिलने के साथ ही उसे नई कंपनी में ट्रांसफर किया जा सकता है. नई कंपनी में पीएफ को मर्ज किया जा सकता है.
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Posted by : Vishwat sen
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