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बचत योजनाओं में निवेश के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है ईपीएफ और पीपीएफ
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दोनों योजनाओं में रिटायरमेंट के बाद बेहतर भविष्य के लिए किया जाता है निवेश
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इन योजनाओं में निवेश करने के पर मिलता है टैक्स से छूट का लाभ
EPF vs PPF : अगर आप सरकार की ओर से चलाई जा रही बचत योजनाओं में निवेश करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपके पास भविष्य निधि यानी पीएफ सबसे बेहतरीन विकल्प है. सरकार की ओर से समय-समय पर इसकी ब्याज दरों की समीक्षा की जाती है. सही मायने में अगर देखें, तो कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा मुख्य रूप से तीन प्रकार की बचत योजनाएं संचालित की जाती हैं. इनमें कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ, लोक भविष्य निधि यानी पीपीएफ और सामान्य भविष्य निधि यानी जीपीएफ शामिल हैं. लेकिन, इन तीन योजनाओं में ईपीएफ और पीपीएफ निवेश के लिहाल से काफी लोकप्रिय हैं. कई बार लोग इन दोनों बचत योजनाओं को लेकर असमंजस में पड़ जाते हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं इन दोनों बचत योजनाओं की खूबियों के बारे में…
ईपीएफ का क्या है मुख्य मकसद : ईपीएफ सरकार की ओर से वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए शुरू की गई बचत योजनाओं में से एक है. जिन कंपनियों में 20 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, उन संस्थानों के कामगार इस बचत योजना में निवेश का लाभ उठा सकते हैं. सरकार की इस योजना का मुख्य मकसद सेवानिवृत्त के बाद कर्मचारियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए फंड जमा करना है.
ईपीएफ में कर्मचारी का कितना पैसा होता है जमा : इस योजना में नियोक्ता कर्मचारी के मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 12 फीसदी ईपीएफ खाते में जमा कराता है. इसमें नियोक्ता की ओर से उतनी ही राशि जमा की जाती है, जितना कि कर्मचारी के हिस्से की राशि होती है. सरकार की ओर से इस बचत योजना के लिए 8.65 फीसदी ब्याज दर तय की गई है.
कब कर सकते हैं पैसे की निकासी : हालांकि, कर्मचारी को नियोक्ता और खुद के द्वारा ईपीएफ खाते में जमा राशि सेवानिवृत्ति के समय दिया है, लेकिन बीमारी, शादी, घर निर्माण, बच्चों की बढ़ाई आदि की जरूरतों को पूरा करने के लिए बीच में भी पीएफ खाते से कुछ राशि निकाली जा सकती है. इसके साथ ही, अगर आप एक महीने की अवधि के लिए बेरोज़गार हैं, तो आप अपने ईपीएफ खाते से 75 फीसदी रकम निकाल सकते हैं. बेरोजगारी दो महीने तक बढ़ने की स्थिति में आप पूरे पैसे निकाल सकते हैं. हालांकि, यदि आप खाता खोलने के 5 साल के भीतर अपना पैसा निकाल लेते हैं, तो आपको निकासी पर टैक्स देना होगा.
टैक्स बेनिफिट : आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत ईपीएफ खाते में एक साल में 1.5 लाख रुपये तक का निवेश करने पर टैक्स नहीं लगता है. यह कंपनी और कर्मचारी दोनों के योगदान पर लागू होता है. जब तक आप बेरोजगार नहीं हो जाते हैं, ईपीएफ पर ब्याज को भी टैक्स से छूट दी गई है. ईपीएफ से पैसे की निकासी पर भी टैक्स नहीं लगता, लेकिन शर्त यह है कि अगर आप खाता खोलने के पांच साल बाद पैसे की निकासी करते हों तो. अगर ईपीएफ खाता खोलने की तारीख से 5 साल के भीतर 50,000 रुपये से अधिक निकालते हैं, तो डीएस काटा जाएगा.
कौन कर सकता है निवेश : लोक भविष्य निधि यानी पीपीएफ सरकार की एक लघु बचत योजना है. यह योजना उन लोगों के लिए है, जो वेतनभोगी नहीं हैं, लेकिन अपना रिटारयमेंट फंड तैयार करना चाहते हैं. कोई भी व्यक्ति अपना पीपीएफ खाता डाकघर या चुनिंदा बैंकों में जाकर खुलवा सकता है. इस खाते में सदस्य को हर साल कम से कम 500 रुपये जमा कराने होते हैं.
पीपीएफ पर कितना है ब्याज : पीपीएफ खाते पर इस समय 7.9 फीसदी की दर से ब्याज मिल रहा है. इस खाते में सदस्य 50 के गुणक में अपना योगदान एक वित्तीय वर्ष में कितनी भी बार दे सकता है. साथ ही, पीपीएफ का सदस्य अपने खाते में एक साल के दौरान 1.5 लाख रुपये से अधिक का योगदान नहीं कर सकता. एक पीपीएफ खाताधारक अकाउंट खोलने के तीसरे से छठे साल के बीच लोन के लिए आवदेन कर सकता है.
कब कर सकते हैं पैसों की निकासी : बेरोजगारी के आलम में आप पीपीएफ खाते से पैसे की निकासी नहीं की जा सकती है. इसका मैच्योरिटी पीरियड 15 साल का होता है. खाता खोलने के पांच साल बाद पीपीएफ से पैसों की निकासी कर सकते हैं. इसके लिए आपको कोई वजह नहीं बतानी होगी. हालांकि, पैसा निकालने की सीमा तय होती है.
लोन फैसिलिटी : खाता खोलने के तीन साल से लेकर छह साल के बीच में आप पीपीएफ से लोन ले सकते हैं. लोन पिछले वित्त वर्ष के दौरान पीपीएफ खाते में जमा कुल रकम का 25 फीसदी ही मिल सकता है.
टैक्स बेनिफिट : ईपीएफ खाते से पांच साल पूरे होने से पहले पैसा निकालने पर टैक्स लगता है, लेकिन पीपीएफ से पैसे निकालने पर टैक्स नहीं लगता.
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Posted By : Vishwat Sen
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