कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को पेंशन स्किम में शामिल करने की तैयारी कर रहा है. हालांकि अबतक इसे लेकर अधिकारिक घोषणा नहीं की गई है. बता दें कि नई योजना व्यक्तिगत योगदान पर आधारित होने का प्रस्ताव है और यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक कर्मियों को 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद न्यूनतम 3,000 रुपये प्रति माह पेंशन मिले.
ईपीएफओ द्वारा प्रस्तावित योजना को यूनिवर्सल पेंशन योजना (यूपीएस) नाम दिया जा सकता है, जिसका उद्देश्य मौजूदा कर्मचारी पेंशन योजना (EPS), 1995 की विभिन्न चुनौतियों का समाधान करना है. इसमें 15,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों के लिए कोई कवरेज नहीं, एक मामूली पेंशन राशि शामिल है.
इस नई योजना में सेवानिवृत्ति पेंशन, विधवा पेंशन, बच्चों की पेंशन और विकलांगता पेंशन का प्रावधान होगा. हालाँकि, यह पेंशन लाभ के लिए सेवा की न्यूनतम योग्यता अवधि को अब 10 से बढ़ाकर 15 वर्ष करने की योजना है. वहीं, किसी सदस्य की मृत्यु 60 वर्ष की आयु से पहले हो जाती है तो यूपीएस के तहत परिवार को पेंशन प्रदान की जाएगी.
ईपीएफओ के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) द्वारा स्थापित एक तदर्थ समिति ने कहा कि, कोई भी कर्मचारी अपने स्वेच्छा से योगदान देना चाहे, तो वह कर सकता है. यानी बड़ी पेंशन राशि प्राप्त करने के लिए कर्मचारी अब बड़ी राशि जमा कर सकते हैं. वर्तमान में, 20 से अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों में प्रति माह 15,000 रुपये तक कमाने वाले श्रमिकों के लिए ईपीएफ योगदान अनिवार्य है. प्रत्येक कर्मचारी अपने बेसिक वेतन का 12% ईपीएफ योजना में योगदान देता है.
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ईपीएफ में राशि जमा करने वाले सभी कर्मचारियों के लिए ईपीएस अनिवार्य है. बता दें कि कर्मचारियों के योगदान में से 8.33% पेंशन योजना में जमा किया जाता है, जो प्रति माह 15,000 रुपये की वेतन सीमा के आधार पर 1,250 रुपये प्रति माह है. यह राशि ब्याज के बिना पेंशन में प्रवाहित हो जाती है. यह भी बता दें कि कर्मचारियों के सेवानिवृत्ति होने के बाद पेंशन का भुगतान मासिक आधार पर निर्धारित फार्मूले के हिसाब से किया जाता है.
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