कोरोना महामारी के दौर में लोगों के जीवन में अनिश्चतता आ गयी है हजारों लोगों की नौकरी गयी है और कई कोरोना के शिकार बन गये हैं ऐसे में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) उनके लिए लाभकारी स्कीम है. इस स्कीम के तहत उन्हें काफी सहायता मिल जाती है.
गौरतलब है कि कर्मचारी पेंशन योजना 16 नवंबर 1995 को लागू हुई थी, इस योजना का लाभ कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को मिलता है. ईपीएस-95 कर्मचारी पेंशन योजना है, जिसमें नियोक्ता के पीएफ के 12 प्रतिशत हिस्से का 8.33 प्रतिशत जमा होता है. साथ ही केंद्र सरकार भी कर्मचारी पेंशन योजना के सदस्यों के वेतन का 1.16 प्रतिशत की दर से अंशदान करती है और अंशदान को कर्मचारी पेंशन कोष में जमा करती है. अगर किसी की बेसिक सैलरी प्लस डीए महीने में 15,000 रुपये से ज्यादा है तो वह ईपीएस स्कीम से नहीं जुड़ सकता है.
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ईपीएस 95 योजना का लाभ लेने के लिए यह जरूरी है कि एक कर्मचारी कम से कम 10 साल की सेवा कर चुका हो
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सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष हो.
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यदि कोई कर्मचारी शारीरिक रूप से पूरी तरह अक्षम हो जाता है, तो वह मासिक पेंशन का हकदार हो जाता है भले ही उसने पेंशन के लिए निर्धारित सेवा अवधि ना पूरी की हो. इसके लिए उसे एक मेडिकल जांच से गुजरना पड़ता है.
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सेवा के दौरान अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाये तो उसके परिवार का एक सदस्य पेंशन लाभ के लिए पात्र हो जाता है.
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अगर कर्मचारी का कोई परिवार ना हो तो नामित व्यक्ति भी पेंशन का हकदार हो जाता है.
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कर्मचारी की मृत्यु पर आश्रितों को आजीवन पेंशन की व्यवस्था
Posted By : Rajneesh Anand
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