नयी दिल्ली : भविष्य निधि खाते में जमा रकम को लेकर चौंकानेवाले आंकड़े सामने आये हैं. मोटी तनख्वाह वाले 1.23 लाख लोगों के भविष्य निधि खाते में 2018-19 के लिए 62,500 करोड़ रुपये जमा हैं. सूत्रों के अनुसार, वहीं सर्वाधिक योगदान देनेवाले एक व्यक्ति के भविष्य निधि खाते में 103 करोड़ रुपये जमा हैं.
वित्त वर्ष 2021-22 के बजट प्रस्ताव के अनुसार कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) खाते में किसी व्यक्ति का सालाना योगदान अगर 2.50 लाख रुपये से अधिक रहता है, तो उसे अधिक राशि पर मिलनेवाले ब्याज पर कर छूट नहीं मिलेगी.
राजस्व विभाग के सूत्रों ने बताया कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) खाते में योगदान करने वाले 4.5 करोड़ अंशधारक हैं. इनमें से 1.23 लाख खाता धनाढ्य यानी मोटा वेतन पानेवालों (एचएनआई) के हैं. ये लोग ईपीएफ खाते में हर महीने बड़ी राशि जमा करते हैं.
अधिक ब्याज पानेवालों को कर के दायरे में लाने को वाजिब ठहराते हुए एक सूत्र ने कहा, ”उच्च श्रेणी की आयवाले इन लोगों के पीएफ खाते में 2018-19 के लिए 62,500 करोड़ रुपये जमा हैं और सरकार उन्हें कर छूट के साथ आठ प्रतिशत का निश्चित रिटर्न दे रही है. यह लाभ उन्हें ईमानदार निम्न और मध्यम आय, वेतनभोगी और अन्य करदाताओं की कीमत पर मिल रहा है.”
सूत्रों के अनुसार, इनमें एक योगदानकर्ता के खाते में 103 करोड़ रुपये से भी अधिक जमा है. वहीं, दो अन्य ऐसे लोगों के खातों में 86-86 करोड़ रुपये से अधिक जमा हैं. शीर्ष 20 उच्च आय वर्ग के लोगों के खातों में करीब 825 करोड़ रुपये जमा हैं, जबकि शीर्ष मोटी तनख्वाह पानेवाले 100 एचएनआई के खातों में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक राशि जमा हैं.
उसने कहा कि बजट में किये गये प्रस्ताव का मकसद योगदाकर्ताओं के बीच असामानता को दूर करना है और उन उच्च आय वर्ग के लोगों पर लगाम लगाना है, जो निश्चित उच्च ब्याज दर के प्रावधान का लाभ लेने के लिए बड़ी राशि जमा कर रहे हैं और ईमानदार करदाताओं के पैसे की कीमत पर गलत तरीके से कमाई कर रहे हैं.
सूत्रों ने यह भी कहा कि ये एचएनआई योगदानकर्ता ईपीएफ खाताधारकों की कुल संख्या का 0.27 प्रतिशत है और उनका प्रति व्यक्ति औसत कोष 5.92 करोड़ रुपये है. अत: वे कर मुक्त निश्चित रिटर्न के साथ सालाना प्रति व्यक्ति 50.3 लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. यह कमाई वेतनभोगी वर्ग और अन्य करदाताओं की लागत पर की जा रही है.
उसने कहा कि बजट में भविष्य में 2.5 लाख रुपये और उससे अधिक के योगदान पर ब्याज छूट को हटाना समानता के सिद्धांत पर आधारित है. व्यवस्था में इस खामी को दूर करने से सामान्य ईपीएफ या जीपीएफ योगदानकर्ता प्रभावित नहीं होंगे.
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