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RBI अप्रैल में भी रेपो रेट में कर सकता है इजाफा, 2023 में लोन सस्ता होने की उम्मीद नहीं

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि अप्रैल की नीतिगत समीक्षा के दौरान रेपो दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि आरबीआई प्रमुख मुद्रास्फीति पर काबू पाने का रुख कायम रखता हुआ नजर आ रहा है.

मुंबई : अगर आप भारत के किसी भी बैंक से होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन या एजुकेशन लोन ले रखी है, तो आपके लिए एक बेहद जरूरी खबर है. वह यह कि चालू साल 2023 में भी लोन और लोन की ईएमआई सस्ता होने की उम्मीद नहीं है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अभी बुधवार 8 फरवरी को ही नीतिगत ब्याज दर रेपो रेट में 0.25 फीसदी अथवा 25 बेसिस प्वाइंट (आधार अंक) की बढ़ोतरी की है. आरबीआई ने मई 2022 से अब तक रेपो रेट को बढ़ाकर 6.50 फीसदी पर पहुंचा दिया है. बाजार विश्लेषकों की मानें, तो बढ़ती महंगाई को देखते हुए आरबीआई अप्रैल में भी रेपो रेट में 0.25 फीसदी तक बढ़ोतरी कर सकता है. उनका कहना है कि नीतिगत ब्याज दर में बढ़ोतरी के रुख पर कायम आरबीआई अप्रैल में प्रस्तावित अगली मौद्रिक समीक्षा में भी रेपो रेट में 0.25 फीसदी की एक और वृद्धि कर सकता है.

महंगाई काबू करने के लिए ब्याज दर में बढ़ोतरी

एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि अप्रैल की नीतिगत समीक्षा के दौरान रेपो दर में 0.25 प्रतिशत वृद्धि की उम्मीद है. इसका कारण यह बताया जा रहा है कि आरबीआई प्रमुख मुद्रास्फीति पर काबू पाने का रुख कायम रखता हुआ नजर आ रहा है. बरुआ ने कहा कि अगले कुछ महीनों तक कुल मुद्रास्फीति के मध्यम रहने के बावजूद प्रमुख मुद्रास्फीति बनी रह सकती है और आरबीआई इसी को नियंत्रित करने के लिए नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर सकता है.

रेपो रेट में बढ़ोतरी पर फिलहाल ब्रेक नहीं

एक्यूट रेटिंग की मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी का भी मानना है कि नीतिगत दर रेपो रेट की वृद्धि पर विराम लगने के संकेत नहीं दिख रहे हैं. हालांकि, इंडिया रेटिंग के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा ने कहा कि आरबीआई अब नीतगत दर रेपो नहीं बढ़ाएगा, लेकिन इसे कम करने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचेगा. इसका मतलब है कि निकट भविष्य में इसके कम से कम मौजूदा स्तर पर रहने की संभावना बनी हुई है.

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फेडरल रिजर्व के असर से बाहर निकलना जरूरी

एसबीआई के समूह मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष ने कहा कि आरबीआई का फेडरल रिजर्व के असर से बाहर निकलना जरूरी है और यह अप्रैल की नीतिगत समीक्षा से साफ हो जाएगा. उन्होंने कहा कि किसी भी देश की मौद्रिक नीति अपनी जरूरतों से तय होनी चाहिए. बता दें कि आरबीआई रेपो रेट में वृद्धि के जरिए महंगाई को काबू करने में जुटा हुआ है और इसीलिए रेपो रेट में बढ़ोतरी किया जा रहा है.

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