नई दिल्ली : वर्ष 2023 भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. देश-दुनिया के अर्थशास्त्री और आर्थिक विश्लेषक यह कहते दिखाई दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत जल्द ही आर्थिक तौर पर मजबूत होगा और विश्व की एक महाशक्ति के तौर पर उभरेगा. अमेरिका से प्रकाशित होने वाले अंग्रेजी के अखबार ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुख्य आर्थिक विश्लेषक ग्र्रेग इप 23 फरवरी 2023 को अपने एक लेख में लिखा है कि वर्ष 2023 का वह वर्ष साबित हो सकता है, जब भारत वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के तौर पर उभरे.
‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ के मुख्य आर्थिक विश्लेषक ग्र्रेग इप ने अपने लेख में आगे लिखा है कि दुनिया भर में अब तक भारत के बारे में भ्रम फैलाया गया है कि प्रचुर मात्रा में श्रमबल और उद्यमशीलता के बावजूद घटिया बुनियादी ढांचा और दमघोंटू कायदे-कानून हैं, लेकिन अब भ्रम फैलाने वाली इस प्रकार की बातों को समाप्त करने का वक्त आ गया है. उन्होंने लिखा है कि सही मायने में वर्ष 2023 वह साल साबित हो सकता है, जब भारत पूरी दुनिया में विश्व आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरे. उन्होंने लिखा है कि ठोस आर्थिक विकास, सूक्ष्म आर्थिक सुधार और बदले हुए भू-राजनीतिक माहौल में भारत ने खुद को पश्चिमी देशों के लिए प्रमुख आकर्षक स्थल बना दिया, जहां पहुंचने के लिए अब वे उत्सुक दिखाई दे रहे हैं. आइए, पढ़ते हैं ग्रेग इप की रिपोर्ट की प्रमुख बातें…
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वर्ष 2023 वह साल साबित हो सकता है, जब भारत एक वैश्विक आर्थिक महाशक्ति तौ पर उभर सकता है. इसे ठोस आर्थिक विकास, सूक्ष्म आर्थिक सुधार और एक बदले हुए भू-राजनीतिक वातावरण के संचयी प्रभाव के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, जिसने पश्चिम को भारत को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए पहले से कहीं अधिक उत्सुक बना दिया है.
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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का कहना है कि भारत की वार्षिक आर्थिक वृद्धि इस वर्ष औसतन 6.5 फीसदी होगी और अगले वर्ष 30 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज, दो दशक की ठोस वृद्धि की प्रवृत्ति को फिर से शुरू करेगी.
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भारत जल्द ही चीन को पछाड़कर दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन सकता है. भारत के पास चीन और अधिकांश पश्चिम देशों की तुलना में सबसे ज्यादा कम उम्र की आबादी होने का जनसांख्यिकीय लाभ है.
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पिछले साल भारत ने मौजूदा डॉलर के संदर्भ में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में ब्रिटेन को विस्थापित किया और 2025 तक जर्मनी को चौथे स्थान पर ला सकता है.
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भारत ने सड़क नेटवर्क, रेलवे, विमानन, बिजली उत्पादन आदि जैसे बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में कुछ प्रभावशाली कदम उठाए हैं.
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हाल के वर्षों में कई नए एक्सप्रेसवे बनाए गए हैं या निर्माणाधीन हैं. 2014 से 2019 तक राष्ट्रीय राजमार्ग किलोमीटर में 45 फीसदी का विस्तार हुआ.
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2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पदभार ग्रहण करने के बाद से हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गई है और कुल ग्रामीण सड़कों में 85 फीसदी की वृद्धि हुई है.
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बिजली संयंत्र की क्षमता 66 फीसदी बढ़ी है और ब्लैकआउट बहुत कम हो गए हैं.
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निर्माणाधीन वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर पूरा होने के कगार पर है. यह कंटेनर बंदरगाहों से जोड़ते हुए अभी संचालित रेल लाइनों के आधे समय में नई दिल्ली से मुंबई तक 1.5 किलोमीटर लंबी ट्रेनों में डबल-स्टैक्ड कंटेनर ले जाने में सक्षम होगा. एक अलग पूर्वी गलियारा कोलकाता तक विस्तारित होगा.
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भौतिक और डिजिटल दोनों तरह के बुनियादी ढांचे ने भी आम भारतीयों के जीवन में सुधार लाया है. सरकार का कहना है कि पिछले तीन वर्षों में पाइप से पानी प्राप्त करने वाले घरों की संख्या लगभग तीन गुना बढ़कर 108 मिलियन हो गई है.
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ग्रेग इप ने कहा कि भारत में जन्मा मेरा एक सहयोगी आठ या नौ वर्षों में पहली बार 2021 में भारत के सबसे गरीब राज्य बिहार में अपने पैतृक गांव लौटा और यह देखकर हैरान रह गया कि अब कितने घरों में नल का पानी, बिजली और अन्य उपकरण जैसे कि रंगीन टीवी और वाशिंग मशीन, और डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले रेस्तरां है, पक्की सड़के हैं.
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प्रधानमंत्री मोदी ने दिवालिया कंपनियों के समाधान में तेजी लाने के लिए एक नए दिवालियापन कानून और एक माल और सेवा कर के साथ भारत के कुख्यात बोझिल और अक्षम कारोबारी माहौल में सुधार को प्राथमिकता दी है, जिसने करदाताओं की संख्या को बढ़ाया है और कर संग्रह को सरल बनाया है.
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भारत में एक जीवंत स्टार्टअप दृश्य है, जिसमें अब 100 से अधिक यूनिकॉर्न शामिल हैं. इनसे 1 बिलियन डॉलर से अधिक मूल्य के नए व्यवसाय की शुरुआत हुई है.
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‘इंडिया स्टैक’ (जिसे सरकार सार्वजनिक सेवाओं का डिजिटलीकरण कहती है) ने अनगिनत कार्यों को ऑनलाइन करना संभव बना दिया है. इनमें टैक्स अपील और कोविड वैक्सीन नियुक्तियां आदि शामिल हैं.
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हजारों छोटे तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक, व्यापार की लंबे समय से चली आ रही मांग को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है या किया जा रहा है.
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भारत ने मुक्त व्यापार सौदों को आगे बढ़ाया है. संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौते अब लागू हैं और ब्रिटेन के साथ बातचीत काफी आगे बढ़ चुकी है.
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भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंत नागेश्वरन कहते हैं कि डेलिवरेजिंग की प्रक्रिया, जिसके बाद महामारी और वस्तुओं की कीमतों को झटका लगा, जिससे संरचनात्मक सुधारों के पूर्ण प्रभाव में देरी हुई, अब एक बार भू-राजनीतिक और आर्थिक स्थिरता वापस आए तो आप इन सुधारों के पिछड़े हुए प्रभावों को देख सकते हैं.
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