‘जयनगर के मोया’ का अब तक शुरू नहीं हुआ निर्यात, बंगाली स्वीटमीट के बारे में कितना जानते हैं आप?

मोया की आधुनिक पैकेजिंग को लेकर स्थापित की जा रही बुनियादी सुविधा में देरी की वजह से बंगाल की सर्दियों की प्रसिद्ध मिठाई ‘जयनगर के मोया’ का निर्यात अब तक नहीं हो सका है. जयनगर के मोया को भौगोलिक पहचान मिली है. इसका उत्पादन पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर-1 और जयनगर-11 ब्लॉक में होता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2020 3:46 PM

कोलकाता : मोया की आधुनिक पैकेजिंग को लेकर स्थापित की जा रही बुनियादी सुविधा में देरी की वजह से बंगाल की सर्दियों की प्रसिद्ध मिठाई ‘जयनगर के मोया’ का निर्यात अब तक नहीं हो सका है. जयनगर के मोया को भौगोलिक पहचान मिली है. इसका उत्पादन पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के जयनगर-1 और जयनगर-11 ब्लॉक में होता है.

इसे खजूर के गुड़ और एक विशेष प्रकार के लाई ‘कानकाचुर खोई’ से तैयार किया जाता है. बंगाल खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड के अधिकारियों ने कहा है कि आधुनिक पैकेजिंग सुविधा की परियोजना का निर्माण 18 महीने से अधिक देरी से चल रहा है. सर्दियों की प्रसिद्ध मिठाई होने के बावजूद जयनगर मोया को राज्य के दूसरे हिस्सों या अन्य राज्यों में नहीं भेजा जा सकता, क्योंकि बनने के बाद यह सिर्फ पांच दिन तक ही सही रह सकती है.

हालांकि, आधुनिक पैकेजिंग मशीनों से इसे कम से कम 25 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है. इससे अलग-अलग स्थानों पर भेजने में मदद मिलेगी. आधुनिक पैकेजिंग मशीनरी परियोजना लगाने का निर्णय तत्कालीन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सचिव आलापन बंद्योपाध्याय ने शुरू करवाया था. वह वर्तमान में पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव हैं.

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जिस वक्त आलापन बंद्योपाध्याय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग सचिव थे, इस परियोजना का खाका पैकेजिंग संस्थान से तकनीकी परामर्श के बाद तैयार किया गया था. श्री बंद्योपाध्याय ने कहा है कि राज्य बोर्ड ने इसके लिए 1.41 करोड़ रुपये का ऑर्डर काफी पहले दिया था. परियोजना में 18 महीने से अधिक की देरी हो चुकी है.

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Posted By : Mithilesh Jha

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