नई दिल्ली : सोशल मीडिया साइटों में ट्विटर के बाद अब फेसबुक ने भी कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है. खबर है कि फेसबुक-मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक झटके में करीब 11000 कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग ने खुद ही इस बारे में जानकारी दी है. कर्मचारियों की छंटनी के पीछे उन्होंने लागत में बढ़ोतरी को जिम्मेदार ठहराया है.
फेसबुक-मेटा के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मार्क जुकरबर्ग ने एक ब्लॉग के जरिए बताया कि आज मैं मेटा के इतिहास में किए गए कुछ कठिन फैसलों के बारे में बताने जा रहा हूं. हमने अपनी टीम की साइज में करीब 13 फीसदी की कटौती की है. इससे करीब 11000 से अधिक प्रतिभाशाली कर्मचारियों की नौकरी जाने वाली है. उन्होंने लिखा कि मेटा में फिलहाल करीब 87,000 कर्मचारी काम कर रहे हैं. इनमें से 11000 से अधिक कर्मचारियों की नौकरी चली गई है. निकाले गए कर्मचारियों में व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के कर्मचारी भी शामिल हैं. उन्होंने आगे लिखा कि मुझे पता है कि यह सभी के लिए कठिन है और मुझे प्रभावित लोगों के लिए विशेष रूप से खेद है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, मार्क जुकरबर्ग ने कोरोना महामारी के दौरान फर्म में राजस्व में वृद्धि के आधार पर विकास के लिए बड़े पैमाने पर दीर्घकालिक उम्मीदों को दोषी ठहराया है. उन्होंने लिखा कि कई लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि यह एक स्थायी वृद्धि होगी. मैंने भी किया. इसीलिए मैंने अपने निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि करने का फैसला किया. उन्होंने कहा कि इसके बाद व्यापक आर्थिक मंदी और प्रतिस्पर्धा में बढ़ोतरी के कारण राजस्व आमदनी अपेक्षाकृत काफी कम हो गई. मुझे यह गलत लगा और इसकी जिम्मेदारी मैं लेता हूं.
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मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, फेसबुक की मूल कंपनी मेटा इंक ने बुधवार सुबह से ही कर्मचारियों की छंटनी का काम शुरू कर दिया. व्यापक आर्थिक मंदी के दौर में ट्विटर, वॉलमार्ट, फोर्ड और अलीबाबा समेत कई बड़ी-बड़ी कंपनियों ने कॉस्ट कटिंग का हवाला देते हुए बड़े पैमाने पर कर्मचारियों की छंटनी शुरू कर दी है. रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों को नौकरी से निकालने के फैसले को लेकर मंगलवार की बैठक में मार्क जुकरबर्ग काफी निराश नजर आ रहे थे. उन्होंने इस बैठक में कहा भी था कि वह कंपनी के गलत कदमों के लिए जिम्मेदार हैं और ग्रोथ के बारे में अति उम्मीद की वजह से ही यह स्थिति पैदा हुई. इस बैठक में उन्होंने कंपनी की श्रमशक्ति में बड़े पैमाने पर कटौती करने की भी बात कही थी.
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