हिमाचल प्रदेश में 1.12 करोड़ रुपये में Fancy Number Plate खरीदने के मामले में गंभीर मोड़ आ गया है. Fancy vehicle registration number HP99 9999 के लिए जिन लोगों ने ऑनलाइन बोली लगाई थी, उन पर Income Tax और Enforcement Agencies की नजरें इनाहत हो गई हैं. इस बोली से ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट भी हैरत में है.
बता दें कि इस हफ्ते 3 लोगों ने Fancy vehicle registration number HP99 9999 के लिए 1 करोड़ रुपये से अधिक की बोली लगाई थी. रजिस्ट्रेशन के लिए HP99 सीरीज को हाल ही में Registration and Licensing authority (RLA), Kotkhai को आवंटित किया गया है. लेकिन ऐसा पहली बार है जब किसी फैंसी नंबर के लिए इतनी बड़ी रकम कोट की गई. शुक्रवार को यह बोली सुर्खियों में आने के बाद परिवहन विभाग बोली लगाने वालों के क्रेडेंशियल चेक कर रहा था. विभाग के पोर्टल से पता चला कि देशराज नामके एक स्कूटी मालिक ने 1,12,15,500 रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाई, जबकि एक अन्य बोली लगाने वाले संजय कुमार ने अपनी कार के लिए 1.11 करोड़ रुपये की बोली लगाई और तीसरे बोली लगाने वाले धर्मवीर ने अपने टू व्हीलर के लिए 1,00,00,500 रुपये की पेशकश की.
राज्य परिवहन निदेशक अनुपम कश्यप ने शनिवार को कहा कि हमने कोटखाई के डिपार्टमेंट से बोली लगाने वालों पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. अभी तक किसी को नंबर अलॉट नहीं किया गया है. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि बोलीदाता पोर्टल पर दी गई रकम का कम से कम 30% जमा करे. परिवहन विभाग संभाल रहे उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने आगे की कार्रवाई के लिए विभाग से रिपोर्ट मांगी है. बोली लगाने वाले अगर नंबर नहीं लेते हैं तो उन पर कार्रवाई करने का नियम के तहत कोई प्रावधान नहीं है. कश्यम ने कहा कि हम उनके घर के पते की पुष्टि कर रहे हैं और इतनी ऊंची बोली लगाने के पीछे की मंशा का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं.
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मौजूदा नियमों के मुताबिक बोली लगाने के लिए सिक्योरिटी रकम जमा करने की जरूरत नहीं है. कोई भी 1,000 रुपये का रजिस्ट्रेशन शुल्क जमा करने के बाद नीलामी में भाग ले सकता है. अगर व्यक्ति बोली के पूरा होने पर नंबर लेने में विफल रहता है तो उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. कश्यप ने कहा कि नियमों में संशोधन प्रस्तावित है और बोली में भाग लेने के लिए सिक्योरिटी अमाउंट का पेमेंट करना जरूरी होगा. अगर नीलामी शर्तों का उल्लंघन किया जाता है तो जमा रकम जब्त कर ली जाएगी. आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों ने विवरण मांगने के लिए जिला प्रशासन और परिवहन विभाग से संपर्क किया है.
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