finance minister nirmala sitharaman, Loan restructure, Bank loan EMI moratorium: कोरोना संकट काल में कर्जधारकों के लिए लोन मोरेटोरियम की सुविधा 31 अगस्त को समाप्त हो चुकी है. बकाया भुगतान पर कर्जधारकों को और सहूलियत किस प्रकार से दी जाए इसे लेकर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण आज बैंकों और एनबीएफसी (गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों) प्रमुखों के साथ बैठक करेंगी. यह बैठक कारोबारियों और व्यक्तिगत कर्जधारकों को पूंजी संकट से बचाने के लिए की जा रही है.
इसमें नीतियों का अंतिम प्रारूप बनाने और बैंकों में इसे सही तरीके से लागू करने, योग्य कर्जधारकों की पहचान करने के अलावा योजना को तेज और समग्र रूप से लागू करने पर चर्चा की जाएगी. उनकी इस बैठक का मकसद कोविड-19 से जुड़े वित्तीय दबाव के समाधान के लिये एक बारगी कर्ज पुनर्गठन योजना को सुचारू और तेजी से क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है.
Finance & Corporate Affairs Nirmala Sitharaman (in file pic) to review with the top management of Scheduled Commercial Banks and NBFCs, the implementation of the resolution framework for COVID-19 related stress in bank loans today. pic.twitter.com/pew7PXBzy9
— ANI (@ANI) September 3, 2020
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पिछले महीने कहा था कि वह कंपनियों और खुदरा कर्ज ले रखे लोगों को राहत देने के लिये कर्ज को गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) में डाले बिना एक बारगी पुनर्गठन की मंजूरी देगा बैंक आरबीआई के नियम और पात्रता के अनुरूप निदेशक मंडल से पुनर्गठन व्यवस्था की मंजूरी लेने की प्रक्रिया में है. आरबीआई ने छह अगस्त को अधिसूचना जारी कर इस बारे में नियम और पात्रता मानदंड दिया था.
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इस बैठक में कई मुद्दों को लेकर चर्चा हो सकती है. हालांकि मोरेटोरियम को लेकर इस बैठक में चर्चा होगी या नहीं, इस पर अभी तस्वीर साफ नहीं है. सूत्रों के अनुसार कर्ज पुनर्गठन को लेकर बैंकों की तैयारी का आकलन करने के अलावा बैठक में 20.97 लाख करोड़ रुपये के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी. वित्त मंत्रालय ने इसी सप्ताह एक बयान में कहा था कि समीक्षा के दौरान इस बात पर गौर किया जाएगा कि आखिरकार किस तरह से कारोबारियों और लोगों को व्यवहार्यता के आधार पर पुनरुद्धार संबंधी व्यवस्था का सही ढंग से उपयोग करने में सक्षम बनाया जाए.
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समीक्षा के दौरान विभिन्न आवश्यक कदमों जैसे कि बैंक नीतियों को अंतिम रूप देने और कर्जदारों की पहचान करने के साथ-साथ उन मुद्दों पर भी चर्चा की जाएगी जिन्हें सुचारू एवं शीघ्र कार्यान्वयन के लिए सुलझाना आवश्यक है. इसमें कहा गया था कि वित्त मंत्री को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के शीर्ष प्रबंधन के साथ ‘बैंक ऋणों में कोविड-19 संबंधी दबाव को लेकर समाधान व्यवस्था’ के क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगी.
पुनर्गठन लाभ वे लोग ले सकते हैं जिनके कर्ज की किस्त एक मार्च तक आ रही थी और चूक 30 दिन से अधिक नहीं होना चाहिए. इसके अलावा रिजर्व बैंक द्वारा गठित के वी कामत समिति इस बारे में वित्तीय मानदंडों पर काम कर रही है. समिति की सिफारिशों को उसके गठन के 30 दिनों के भीतर अधिसूचित किया जाना है. इसका मतलब है कि अधिसूचना छह सितंबर तक आ जानी चाहिए.
Posted By: Utpal kant
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