नई दिल्ली : कोरोना महामारी के दौरान महंगाई की मार झेल रहे देश के करोड़ों लोगों के लिए राहत भरी खबर है और वह यह कि आने वाले दिनों में आपकी रसोई में सब्जियों का छौंक लगाना महंगा नहीं पड़ेगा. इसका कारण यह है कि देश में खाने वाले तेलों के दाम जल्द ही घटने वाले हैं. यह दावा सरकार की ओर से किया जा रहा है. फिलहाल देश के लोगों को सरसो तेल समेत खाने वाले तेलों के लिए महंगी कीमत का भुगतान करना पड़ रहा है.
आलम यह कि खाने वाले तेलों में प्रमुख सरसो तेल की कीमत में बीते 2 साल के दौरान 150 फीसदी से भी अधिक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. महामारी की शुरुआत के दौरान जो सरसो का तेल 94 से 96 रुपये प्रति लीटर पर बेचा जाता था, आज उसकी कीमत 230 से 280 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गई है. यानी बीते दो सालों के दौरान खाने वाले तेलों में करीब 150 फीसदी से भी अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
मीडिया की खबरों की मानें, तो केंद्र की मोदी सरकार ने देश में खाने वाले तेलों की आसमान चढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम उठाए हैं. सरकार के वित्त मंत्रालय की ओर से यह दावा किया जा रहा है कि सरकार की ओर से आयातित खाने वाले तेलों पर लगने वाले कस्टम ड्यूटी को कम कर दिया गया है. मीडिया की एक खबर के अनुसार, सरकार ने आयातित पाम ऑयल, सोया तेल और सूरजमुखी तेल पर बेस कस्टम ड्यूटी घटा दी है.
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, कच्चे पाम तेल पर बेस कस्टम ड्यूटी 10 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दी गई है, जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर टैक्स को 7.5 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी किया गया है. मंत्रालय की ओर से जारी नोटिफिकेशन शनिवार से लागू हो गया है.
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सरकार की ओर से आयातित खाने वाले तेलों पर कस्टम ड्यूटी घटाने से कच्चे पाम तेल, कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल की कीमतों में 24.75 फीसदी तक गिरावट आएगी, जबकि रिफाइंड पाम ऑयल, सोया ऑयल और सनफ्लावर ऑयल की कीमत पर 35.75 फीसदी तक कम हो जाएंगी.
मेहता ने कहा कि सरकार की ताजा कटौती से खुदरा बाजार में खाने वाले तेलों की कीमतों में चार से पांच रुपये प्रति लीटर की कमी दर्ज की जा सकती है. इसके अलावा, ये भी आम तौर पर देखा जाता है कि भारत के आयात शुल्क को कम करने के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें सख्त हो जाती हैं, इसलिए वास्तविक असर केवल दो से तीन रुपये प्रति लीटर ही हो सकता है.
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