नयी दिल्ली : फिच रेटिंग्स ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के घटकर 0.8 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है. कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू किए गए लॉकडाउन और वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण यह स्थिति हो जायेगी. फिच रेटिंग्स ने अपने वैश्विक आर्थिक अनुमानों में कहा कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान घटकर 0.8 प्रतिशत रह जाएगी, जबकि बीते वित्त वर्ष के दौरान यह आंकड़ा 4.9 प्रतिशत (अनुमानित) था.
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रेटिंग एजेंसी ने कहा कि हालांकि 2021-22 में वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रह सकती है. रेटिंग एजेंसी का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में लगातार दो तिमाहियों के दौरान नकारात्मक वृद्धि रहेगी. अप्रैल से जून तिमाही के लिए यह नकारात्मक 0.2 प्रतिशत और जुलाई से सितंबर तिमाही के लिए यह नकारात्मक 0.1 प्रतिशत रह सकती है.
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फिच का अनुमान है कि इसके अगली तिमाही में वृद्धि दर 1.4 प्रतिशत रह सकती है. फिच का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 में वृद्धि दर में गिरावट की मुख्य वजह उपभोक्ता खर्च में कमी होगी, जो 5.5 प्रतिशत से घटकर 0.3 प्रतिशत रह जाएगी.
रेटिंग एजेंसी ने वैश्विक जीडीपी पूर्वानुमानों में भी बड़ी कटौती की है. फिच रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री ब्रायन कुल्टन ने कहा कि विश्व जीडीपी के 2020 में 3.9 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है, जिसका असर 2009 की मंदी के मुकाबले दोगुना होगा.
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इससे पहले, इंडिया रेटिंग्स ने भी अगले वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 3.6 फीसदी कर दिया है. फिच सोल्यूशंस ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 4.6 रहने का अनुमान है, जबकि पूर्व में इसके 5.4 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी. हमने 2019-20 में 4.9 फीसदी आर्थिक वृद्धि अनुमान के जरिये जो नरमी की बात कही थी, वह अब दिखाई दे रही है.’
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