नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) द्वारा अमेजन और फ्लिपकार्ट के व्यापार प्रथाओं की जांच को रोकने से इनकार कर दिया. सीसीआई ने पिछले साल दोनों कंपनियों के खिलाफ अपने ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर चुनिंदा विक्रेताओं को कथित रूप से बढ़ावा देने और प्रतिस्पर्धा को कम करने वाली व्यावसायिक प्रथाओं का उपयोग करने के लिए जांच का आदेश दिया था.
मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि जांच को चुनौती देना आपराधिक कानून के तहत प्राथमिकी दर्ज करने से पहले नोटिस चाहने जैसा है और ई-कॉमर्स दिग्गजों को सीसीआई द्वारा जांच के लिए खुद को प्रस्तुत करने के लिए कहा. पीठ ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े संगठन खुद को पूछताछ के लिए पेश करेंगे. अगर आप ऐसा नहीं चाहते फिर भी आपको जांच के लिए प्रस्तुत होना होगा.
फ्लिपकार्ट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी द्वारा यह बताये जाने पर कि सीसीआई को जवाब देने का समय 9 अगस्त को ही समाप्त हो रहा था. बेंच ने समय को चार और सप्ताह बढ़ा दिया. जिस पर सीसीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताई थी. मेहता ने कहा कि इन फर्मों को एक सप्ताह का ही समय दिया जाना चाहिए क्योंकि कोविड के समय में लोग ज्यादातर इन कंपनियों के माध्यम से ऑनलाइन खरीदारी करते हैं.
प्रतिस्पर्धा आयोग की जांच फ्लिपकार्ट और अमेजन इंडिया द्वारा कदाचार के आरोपों के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जहां तक दोनों खुदरा विक्रेताओं द्वारा मोबाइल फोन के पसंदीदा विक्रेताओं की गहरी छूट और प्रैक्टिस के मुद्दे का संबंध था. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 23 जुलाई को प्रतिस्पर्धा कानून के कथित उल्लंघन के लिए सीसीआई जांच के खिलाफ एमेजन-फ्लिपकार्ट की याचिका खारिज कर दी थी.
हाई कोर्ट ने कहा था कि ई-कॉमर्स फर्मों को उल्लंघन में शामिल नहीं होने पर जांच से पीछे हटने की कोई जरूरत नहीं है. इस स्तर पर जांच को कुचला नहीं जा सकता है. यदि अपीलकर्ता प्रतिस्पर्धा कानून के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन में शामिल नहीं हैं, तो उन्हें भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जांच का सामना करने में शर्म महसूस नहीं करनी चाहिए.
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