Floral Waste से आप भी शुरू कर सकते है व्यापार, जानिए कैसे मिल रहा सर्कुलर इकॉनमी को बढावा

Floral waste : फुलों के अपशिष्ट रिसाइकिल करना भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बनता जा रहा है. इससे न केवल पर्यावरण की रक्षा हो रही है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक लाभ भी हो रहा है.

By Swati Kumari Ray | July 12, 2024 4:52 PM

Floral Waste : भारत, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है, अपने मंदिरों, मस्जिदों, गुरुद्वारों और चर्चों में हर दिन टनों पुष्पों का उपयोग करता है. ये फूल पूजा, आरती, सजावट और विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किए जाते हैं. हालांकि, पूजा समाप्त होने के बाद इन फूलों का अधिकांश भाग कचरे के रूप में फेंक दिया जाता है.यह न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है, बल्कि यह अपशिष्ट भी गंगा और अन्य नदियों को प्रदूषित करता है.परंतु, हाल के वर्षों में, पुष्प अपशिष्ट का उपयोग करके चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के प्रयासों ने एक नई दिशा पकड़ी है.

Green Temple का उद्देश्य

भारत में पुष्प अपशिष्ट के प्रबंधन की नई पहल चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख भूमिका निभा रही हैं. मंदिरों और धार्मिक स्थलों से उत्पन्न होने वाले फूलों के अपशिष्ट को पर्यावरण के लिए हानिकारक होने के बजाय, अब इसे उपयोगी उत्पादों में बदलने के प्रयास किए जा रहे हैं.

Floral waste से आप भी शुरू कर सकते है व्यापार, जानिए कैसे मिल रहा सर्कुलर इकॉनमी को बढावा 2

हाल ही में आये संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के अनुसार, केवल गंगा नदी से सलाना 8 मिलियन मीट्रिक टन से अधिक फूलों के कचरे को सोख लिया जाता है. ‘ग्रीन टेंपल’ का उद्देश्य मंदिरों को पर्यावरण के अनुकूल स्थानों में बदलना है. मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले फूलों को इकट्ठा करके उनका फिर से उपयोग किया जा सकता है. इन फूलों से जैविक खाद, अगरबत्ती, साबुन और अन्य उपयोगी उत्पाद बनाए जा सकते हैं. उज्जैन स्मार्ट सिटी 2022 कि रिर्पोट के अनुसार अब तक लगभग 2,200 टन फुलों के कचरे से अन्य उत्पादों में रिसाइकिल किया जा चुका है.बता दे की प्रतिदिन लगभग 5-6 टन फुल उज्जैन के महालकालेश्वर मंदिर में चढ़ते है, इसके अलावा सिद्धिविनायक मंदिर में हर रोज लगभग 120 से 200 टन फुल चढ़ाये जाते है.

Floral waste से भिन्न उत्पादों का निर्माण

कई उधोग में ‘फूल’ और ‘जैव-चक्र’ ने पुष्प अपशिष्ट को इकट्ठा करके इसे जैविक खाद, अगरबत्ती, साबुन और अन्य उत्पादों में परिवर्तित करना शुरू किया है. पुष्प अपशिष्ट के पुन: उपयोग से न केवल पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार हो रहा है, बल्कि इससे ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो रहे हैं. महिलाएं और कमजोर वर्ग के लोग विशेष रूप से इस पहल से लाभान्वित हो रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है.

‘ADIV PURE NATURE’

मुंबई स्थित ADIV PURE NATURE सप्ताह में तीन बार लगभग 1000- 15000 किलो फुल इकट्ठा करता है, यह ज्यादातर मैरीगोल्ड, गुलाब, और हिबिस्कस के फुलो का उपयोग कर उन्हें प्राकृतिक रंगों में बदल देते है. जिससे कपड़े, स्कार्फ, टेबल लिनेन और टोट बैग के वस्त्र बनाये जा सकें.

Also Read : Fish Farming: घर में पालें मछली, सब्सिडी देगी सरकार

पुनम सेहरावत का स्टार्टअप ‘ARUHI’

पूनम शेरावत की आरुही एंटरप्राइज न केवल फूलों के कचरे को रिसाइकिल करके पर्यावरण को साफ रख रही है, बल्कि महिलाओं को सशक्त भी बना रही है. यह दिल्ली एनसीआर में 15 से ज्यादा जगहों 1000 किलोग्राम फुलों को इकट्ठा कर रिसाइकिल करती है. यहां लगभग 3000 से अधिक महिलाएं मोमबत्तियाँ और अगरबत्ती जैसे हस्तनिर्मित पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाती हैं, जिससे उन्हें आजीविका कमाने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने में मदद मिलती है.

HOLYWASTE

हैदराबाद में ऊर्वी सस्टेनेबल कॉन्सेप्ट्स प्राइवेट लिमिटेड का एक हिस्सा होलीवेस्ट, फूलों के कचरे को रिसाइकिल करने के लिए “फ्लोरिजुवेनेशन” का अभ्यास करता है. वे विक्रेताओं, मंदिरों, इवेंट प्लानर्स और डेकोरेटर्स के साथ मिलकर फूलों का कचरा इकट्ठा करते हैं, हर दिन लैंडफिल और झीलों से लगभग 200 किलोग्राम कचरा निकालते हैं. कचरे को खाद, अगरबत्ती, कोन और साबुन जैसे पर्यावरण के अनुकूल उत्पादों का निर्माण किया जाता है.

Also Read : Sensex ने फिर लगाया जोर, 622 अंकों की छलांग के साथ 80,519.34 पर बंद

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version