Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक समूह की वार्षिक बैठक में भाग लेने के लिए अमेरिका के दौरे पर हैं. इस दौरान उन्होंने पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (PIIE) में कोरोना महामारी के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर बयान दिया. निर्मला सीतारमण ने कहा यह निश्चित रूप से भारतीय लोगों की उद्यमी प्रकृति है. अपनों को खोने के बावजूद, भारतीयों ने अवसर देखा कि वे इस चुनौती को स्वीकार कर सकते हैं और बाहर आकर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं.
भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन और विकास पर चर्चा के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, मुझे लगता है कि इसका जवाब उन निवेशकों के पास है जो भारत आ रहे हैं. मैं उनसे यही कहना चाहती हूं कि भारत में क्या हो रहा है, सच्चाई जानने के बजाय उन लोगों द्वारा बनाई जा रही धारणाओं को समझने का प्रयास ना करें, जो जमीन पर आए बिना रिपोर्ट तैयार करते हैं. निर्मला सीतारमण ने कहा, भारत में निवेश या पूंजी प्रवाह को प्रभावित करने वाली धारणाओं पर विचार करने की जरूरत है.
निर्मला सीतारमण से यह भी सवाल किया गया कि पश्चिमी प्रेस में विपक्षी दल के सांसदों की हैसियत खोने और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हिंसा का शिकार होने के बारे में व्यापक रिपोर्टिंग हो रही है. वित्त मंत्री ने कहा, भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी है और यह संख्या बढ़ रही है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है और उनकी संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है. वहीं, भारत में इसके विपरीत हालात है. पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर मामूली आरोप लगाए जाते हैं, जिसके लिए मौत जैसी सजा दी जाती है. ज्यादातर मामलों में ईशनिंदा कानून व्यक्तिगत प्रतिशोध को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है. उचित जांच के बिना और एक जूरी के तहत परीक्षण आयोजित किए बिना पीड़ितों को तुरंत दोषी मान लिया जाता है. पाकिस्तान ने खुद को एक इस्लामिक देश घोषित कर दिया है, लेकिन फिर भी वहां अल्पसंख्यकों की संख्या घट रही है. यहां तक कि कुछ मुस्लिम संप्रदाय भी खत्म हो गए हैं.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पाकिस्तान के मुसलमानों की भारत से तुलना करते हुए कहा कि भारत में मुसलमान बेहतर कर रहे हैं. मुहाजिरों, शिया और हर दूसरे समूह के खिलाफ हिंसा होती है, जिसका आप नाम ले सकते हैं, जिसे मुख्यधारा द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है. जबकि, भारत में आप पाएंगे कि मुसलमानों का हर वर्ग अपना व्यवसाय कर रहा है, उनके बच्चे शिक्षित हो रहे हैं. सरकार द्वारा फैलोशिप दी जा रही है. भारत में मुसलमानों के कथित उत्पीड़न पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, भारत में हर जगह अगर मुसलमानों को प्रभावित करने के लिए हिंसा हो रही है तो यह बयान अपने आप में एक भ्रम है. यह कहना कि इसके लिए भारत सरकार दोषी है. मैं पूछना चाहती हूं कि बताएं 2014 से अभी तक क्या जनसंख्या घटी है? क्या किसी एक विशेष समुदाय में मृत्यु अनुपातहीन रूप से अधिक है? इसलिए मैं उन लोगों को जो ये रिपोर्टें लिखते हैं, भारत आने के लिए आमंत्रित करूंगी. वे भारत आएं और अपनी बात साबित करें.
भारतीय अर्थव्यवस्था के बाद की महामारी के पुनरुद्धार पर उन्होंने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से और अधिक प्रगतिशील होने का आग्रह किया. उन्होंने कहा, मैं चाहती हूं कि डब्ल्यूटीओ अधिक प्रगतिशील हो, सभी देशों को अधिक सुने और अधिक निष्पक्ष हो. इसमें उन देशों की आवाज को जगह देनी होगी, जिनके पास कहने के लिए कुछ अलग है और न सिर्फ सुनना है, बल्कि कुछ हद तक ध्यान भी देना है. केंद्रीय वित्त मंत्री ने आगे कहा कि आज हम भारत में बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने में संतृप्ति के करीब पहुंच रहे हैं. आज सरकार का दृष्टिकोण गरीब लोगों को बुनियादी सुविधाएं जैसे घर, पीने का पानी, बिजली आदि के साथ सशक्त बनाना है. हमारा वित्तीय समावेशन पर जोर है ताकि सभी के पास बैंक खाता हो और लाभ सीधे उन तक पहुंचे.
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