Foreign Trade Policy: अब रुपए में होगा इंटरनेशनल ट्रेड, वाणिज्य मंत्रालय ने पॉलिसी में किया बदलाव
Foreign Trade Policy: वाणिज्य मंत्रालय ने रुपए में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दी है. इससे पहले, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जुलाई में बैंकों से कहा था कि वे निर्यात एवं आयात सौदे रुपये में संपन्न कराने के लिए अतिरिक्त इंतजाम कर लें.
Foreign Trade Policy: भारतीय आयातक द्वारा अब अंतरराष्ट्रीय व्यापार रुपए में किया जा सकेगा. वाणिज्य मंत्रालय ने रुपए में अंतरराष्ट्रीय ट्रेड सेटलमेंट को मंजूरी दी है. मंत्रालय ने घरेलू मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने के लिए भारतीय रुपये में बिल बनाने, भुगतान करने और आयात-निर्यात सौदों के निपटान की अनुमति दी है.
आरबीआई ने सुविधा शुरू करने का रखा था प्रस्ताव
इससे पहले, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने जुलाई में बैंकों से कहा था कि वे निर्यात एवं आयात सौदे रुपये में संपन्न कराने के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें. भारतीय मुद्रा के प्रति वैश्विक कारोबारी समुदाय की बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए आरबीआई ने यह सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव रखा था. आरबीआई के इस निर्णय के अनुरूप वाणिज्य मंत्रालय के तहत गठित विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने अब विदेश व्यापार नीति (FTP) में एक नया पैराग्राफ जोड़ा है.
डीजीएफटी ने जारी की अधिसूचना
डीजीएफटी की ओर से जारी की गई एक अधिसूचना में कहा गया है कि आरबीआई के 11 जुलाई, 2022 के परिपत्र के अनुरूप पैराग्राफ 2.52D को अधिसूचित किया गया है, जो भारतीय रुपये में आयात-निर्यात सौदों के निपटान, बिल बनाने और भुगतान की अनुमति देता है. इस अधिसूचना के जारी होने के बाद अब व्यापार सौदों का निपटान भारतीय रुपये में भी किया जा सकता है. इसके लिए भारत में अधिकृत डीलर बैंकों द्वारा विशेष वोस्ट्रो खाते खोलने जरूरी होंगे.
अपने आयात का भुगतान भारतीय रुपये में कर पाएंगे भारतीय आयातक
इस मंजूरी के बाद भारतीय आयातक इस व्यवस्था के जरिये अपने आयात का भुगतान भारतीय रुपये में कर पाएंगे. इस राशि को साझेदार देश के संबंधित बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते में जमा कर दिया जाएगा. विदेशी आपूर्तिकर्ता को सामान या सेवा की आपूर्ति के लिए दिए गए बिलों के एवज में यह राशि जमा की जाएगी. आरबीआई और वाणिज्य मंत्रालय ने सितंबर की शुरुआत में ही देश के प्रमुख बैंकों के शीर्ष प्रबंधन और व्यापार निकायों के प्रतिनिधियों को रुपये में लेनदेन को बढ़ावा देने को कहा था.
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