‘भारत में पेट्रोल-डीजल के कंज्यमर्स को क्यों नहीं मिल रहा कच्चे तेल में गिरावट का फायदा?’

दुनिया भर में सरकारें इस समय अपने यहां जब उपभोक्ताओं को विश्व बाजार में कच्चे तेल के घटे दाम का लाभ उपलब्ध करा रही हैं, तब भारत में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की लागत में कमी का जनता को कोई लाभ नहीं दिया है.

By Agency | May 26, 2020 10:28 PM

नयी दिल्ली : दुनिया भर में सरकारें इस समय अपने यहां जब उपभोक्ताओं को विश्व बाजार में कच्चे तेल के घटे दाम का लाभ उपलब्ध करा रही हैं, तब भारत में मोदी सरकार ने पेट्रोल और डीजल की लागत में कमी का जनता को कोई लाभ नहीं दिया है. यह कहना है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व पेट्रोलियम मंत्री एम वीरप्पा मोइली का. मोइली ने मंगलवार को कहा कि देश में मोटर वाहन ईंधन की दरें उस समय के स्तर पर कायम हैं, जब विश्व बाजार में कच्चे तेल का दाम 107 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर था.

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एक बयान में मोइली ने कहा कि पेट्रोल का दाम 71.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल का दाम 55.49 रुपये प्रति लीटर उस समय था, जब संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए- दो) के कार्यकाल में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 107.09 डॉलर प्रति बैरल की सर्वकालिक ऊंचाई पर पहुंचे थे. इस समय जब कच्चे तेल का दाम अंतरराष्ट्रीय बाजार में 36.29 डॉलर प्रति बैरल पर है, तब पेट्रोल का दाम 71.26 रुपये लीटर और डीजल का दाम 65.39 रुपये लीटर पर है.

बयान में कहा गया है कि मोदी सरकार ने अंतरराष्ट्रीय बाजार के लाभ को आम जनता तक नहीं पहुंचने दिया. सरकार ने पिछले दो महीने के दौरान पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 13 रुपये लीटर और डीजल पर 16 रुपये प्रति लीटर बढ़ा दिया. यही वजह है कि विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम दो दशक के सबसे निचले स्तर तक पहुंच जाने के बाद भी भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम में कोई कमी नहीं आयी.

मोइली ने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक दुनिया के किसी भी देश में लोगों को तेल के दाम में आयी भारी गिरावट के लाभ से वंचित नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि जब भारत सहित पूरी दुनिया के अर्थशास्त्री लोगों के हाथ में नकदी रखने की बात कर रहे हैं, मौजूदा सरकार इसके उलट उन फायदों को भी वापस ले रही है, जो वैधानिक रूप से लोगों को मिलने चाहिए.

मोइली ने कहा कि मोदी सरकार ने 2014 में जब सत्ता संभाली थी, तब पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 9.48 रुपये प्रति लीटर था. वहीं, डीजल पर यह 3.56 रुपये प्रति लीटर की दर से लागू था. आज यह पेट्रोल पर 32.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.83 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच गयी है. यह उत्पाद शुल्क में बार-बार बढ़ाने की वजह से हुआ है.

मोइली ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-दो सरकार ने लोगों के हित में उचित निर्णय लेते हुए पेट्रोल-डीजल पर लागू प्रशासनिक मूल्य प्रणाली को समाप्त किया. इसके पीछे सोच यह थी कि बाजार के रुख के अनुरूप घट-बढ़ का लाभ आगे लोगों तक पहुंचाया जाए. यह निर्णय अर्थशास्त्र के सिद्धांतों के तहत लिया गया, जिसमें उपभोक्ता और देश की अर्थव्यवस्था दोनों को ही लाभ पहुंचे. उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में संकट को देखते हुए सरकार को लोगों और उपभोक्ताओं के प्रति अधिक संवेदनशील होना चाहिए.

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