RBI के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने कहा, ईमानदारी, दृढ़ता और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता सबसे अहम

RBI: आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने अपने संबोधन की शुरुआत सैनिक स्कूल में अपने आरंभिक वर्षों की शिक्षा से की. उन्होंने कहा कि कैसे उनकी शिक्षा ने उनके बाद के करियर के लिए एक ठोस आधार तैयार किया.

By KumarVishwat Sen | July 3, 2024 2:21 PM
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Former RBI Governor: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि ईमानदारी, दृढ़ता और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता सबसे अहम है. सुब्बाराव ने कहा कि उन्हें भारत की वित्तीय प्रणाली और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की जटिलताओं को समझना आवश्यक है. इस पर उन्होंने कुछ सबक भी प्रतिभागियों से साझा किए.

डी सुब्बाराव की पुस्तक पर चर्चा

आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कराने वाले संस्थान राउस आईएएस की ओर से आयोजित एक सेमिनार में छात्रों को संबोधित कर रहे थे. इस मौके पर हाल ही में प्रकाशित डी सुब्बाराव की पुस्तक ‘जस्ट ए मर्सिनरी?’ पर चर्चा भी की गई. छात्रों को संबोधित करते हुए आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने कहा कि अपनी मातृ संस्था में आकर छात्रों से की गई बातचीत मुझे 50 साल पीछे लेकर चली गई.

सैनिक स्कूल ने सुब्बाराव के करियर की आधार तैयार की

आरबीआई के पूर्व गवर्नर सुब्बाराव ने अपने संबोधन की शुरुआत सैनिक स्कूल में अपने आरंभिक वर्षों की शिक्षा से की. उन्होंने कहा कि कैसे उनकी शिक्षा ने उनके बाद के करियर के लिए एक ठोस आधार तैयार किया. उन्होंने एक आईएएस अधिकारी के रूप में अपने अनुभवों को साझा किया. उन्होंने कहा कि ईमानदारी, दृढ़ता और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता सबसे अहम है. आरबीआई गवर्नर के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में भी महत्वपूर्ण बातें बताई. सुब्बाराव ने कहा कि उन्होंने भारत की वित्तीय प्रणाली और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य की जटिलताओं को समझना आवश्यक है. इस पर उन्होंने कुछ सबक भी प्रतिभागियों से साझा किए.

डी सुब्बाराव से छात्रों ने पूछे सवाल

इंटरेक्टिव सत्र ने छात्रों को डॉ. सुब्बाराव से सीधे जुड़ने का मौका दिया. छात्रों ने उनके करियर, आर्थिक परिदृश्य और शासन के व्यावहारिक पहलुओं के बारे में कई तरह के सवाल किए. छात्रों के महत्वपूर्ण आर्थिक अवधि के दौरान उनके निर्णय लेने की प्रक्रिया से लेकर मौद्रिक नीतियों को लागू करने के दौरान आने वाली चुनौतियों तक थे. प्रशासनिक पदों से लेकर वित्तीय संस्थानों में नेतृत्व तक विभिन्न भूमिकाओं में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए आवश्यक कौशल और विशेषताओं को समझने में छात्रों की विशेष रुचि थी.

सुब्बाराव ने छात्रों को दी सलाह

सुब्बाराव की व्यावहारिक सलाह छात्रों को काफी पसंद आई. उन्होंने छात्रों को लगातार विकसित हो रहे पेशेवर माहौल में निरंतर सीखने और अनुकूलनशीलता के महत्व को रेखांकित करते हुए जुनून और लचीलेपन के साथ अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया. सेमिनार में पुस्तक हस्ताक्षर कार्यक्रम के दौरान छात्रों को डी सुब्बाराव की ‘जस्ट ए मर्सिनरी?’ की अपनी प्रतियां प्राप्त करने का मौका मिला.

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कड़ी मेहनत से पाई जा सकती है ऊंचाई

इस मौके पर अभिषेक गुप्ता अभिषेक गुप्ता ने कहा कि डी सुब्बाराव की ओर से अपनी अविश्वसनीय यात्रा और ज्ञान को छात्रों के साथ साझा करना हमारे लिए सम्मान की बात है. उनकी उपलब्धियां उन ऊंचाइयों का उदाहरण हैं, जिन्हें समर्पण और कड़ी मेहनत से पहुंचा जा सकता है. इस सेमिनार ने निस्संदेह हमारे छात्रों को अपने करियर और जीवन में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है.

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