आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने सरकार के साथ मतभेदों का किया खुलासा, एनपीए को लेकर पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर साधा निशाना

आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने देश के बैंकों में बढ़ते गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) को लेकर पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील सरकार (UPA Government) पर भी निशाना साधा है. उन्होंने अपनी नयी किताब 'ओवरड्राफ्ट सेविंग द इंडियन सेवर' में देश के सरकारी बैंकों की एनपीए में तेज वृद्धि के लिए केंद्रीय बैंक और यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने अपनी किताब में वर्ष 2014 से पहले सुस्त विनियामकीय निगरानी के लिए आरबीआई और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है कि इस कारण से सरकारी बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी हुई, जिसका खामियाजा अब जाकर देश के बैंकिंग सिस्टम को भुगतना पड़ रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2020 5:14 PM

नयी दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने शुक्रवार को सरकार के साथ मतभेदों को लेकर खुलासा किया है. इसमें उन्होंने कहा है कि जब वे केंद्रीय बैंक के गवर्नर थे, तब सरकार के साथ उनकी किस बात पर अनबन हुई थी. ब्लूमर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने उस समय दिवाला कानून (Bankruptcy law) के नियमों में ढील देने का आदेश दिया था, जिस पर पूर्व गवर्नर पटेल की रजामंदी नहीं थी. इसी बात को लेकर सरकार और केंद्रीय बैंक के गवर्नर के बीच अनबन शुरू हो गयी थी. शुक्रवार को अपनी किताब ‘ओवरड्राफ्ट सेविंग द इंडियन सेवर’ के लोकार्पण के मौके पर उन्होंने इस बात का खुलासा किया.

इसके साथ ही, आरबीआई के पूर्व गवर्नर उर्जित पटेल ने देश के बैंकों में बढ़ते गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA) को लेकर पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील सरकार (UPA Government) पर भी निशाना साधा है. उन्होंने अपनी नयी किताब ‘ओवरड्राफ्ट सेविंग द इंडियन सेवर’ में देश के सरकारी बैंकों की एनपीए में तेज वृद्धि के लिए केंद्रीय बैंक और यूपीए सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने अपनी किताब में वर्ष 2014 से पहले सुस्त विनियामकीय निगरानी के लिए आरबीआई और पूर्ववर्ती यूपीए सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने लिखा है कि इस कारण से सरकारी बैंकों के एनपीए में बढ़ोतरी हुई, जिसका खामियाजा अब जाकर देश के बैंकिंग सिस्टम को भुगतना पड़ रहा है.

इसके साथ ही, शुक्रवार को पुस्तक लोकार्पण के मौके पर पटेल ने कहा कि उन्होंने जिस साल अपने पद से इस्तीफा दिया, तब तक सरकार कानून में अपनी दिलचस्पी खो चुकी थी. पटेल सितंबर 2016 से लेकर दिसंबर 2018 तक आरबीआई के गवर्नर पद पर आसीन थे. फरवरी 2018 में आरबीआई की तरफ से एक सर्कुलर जारी किया गया था. इसमें बैंकों पर आरबीआई ने यह निर्देश दिया था कि जो कर्ज लेने वाले पुनर्भुगतान नहीं कर रहे हैं, उन्हें तुरंत डिफॉल्टर की लिस्ट में शामिल किया जाए. आरबीआई के इस आदेश से सरकार सहमत नहीं थी. इस सर्कुलर में इस बात की भी पाबंदी थी कि जो कंपनी डिफॉल्ट कर जाएगी, उसके प्रमोटर इनसॉल्वेंसी ऑक्शन के दौरान कंपनी में हिस्सेदारी बायबैक नहीं कर सकते हैं.

पटेल ने कहा कि तब तक वित्त मंत्री और मेरी राय एक जैसी थी. हमारी किसी भी मुद्दे पर बातचीत होती रहती थी, लेकिन इस सर्कुलर के बाद सरकार और आरबीआई की राय बदल गयी. केंद्रीय बैंक चाहता था कि दिवाला कानून को सख्त बनाया जाए, ताकि भविष्य में जो कंपनियां डिफॉल्ट करना चाह भी रही हों, उन्हें सबक मिले. उन्होंने कहा कि सरकार चाहती थी कि बैंक फरवरी का अपना सर्कुलर वापस ले ले, लेकिन केंद्रीय बैंक ने ऐसा करने से इनकार कर दिया.

Also Read: राजन की राह पर उर्जित पटेल : डूबे हुए कर्ज की स्थिति पर सरकार, बैंक और नियामक पर साधा निशाना

Posted By : Vishwat Sen

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version