11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

FPI in Share Market: भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों का मोह भंग, इस सप्ताह निकाले 8000 करोड़ रुपये

FPI in Share Market: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डॉलर की बढ़त और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बाजार में बेच दी. इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध विक्रेता बने रहे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे.

FPI in Share Market: भारतीय बाजार से विदेशी निवेशकों का मोह भंग होता जा रहा है. पिछले कुछ सप्ताह से लगातार निवेशक अपना शेयर बेचकर पैसे निकाल रहे हैं. इसी साल मार्च में निवेश उच्चतम स्तर पर था. इसके बाद से गिरावट देखने को मिल रही है. बताया जा रहा है कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने डॉलर की बढ़त और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में लगातार वृद्धि के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह में 8,000 करोड़ रुपये की इक्विटी बाजार में बेच दी. इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध विक्रेता बने रहे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये निकाले थे. एफपीआई मार्च से अगस्त तक पिछले छह महीनों में लगातार लिवाली कर रहे थे और इस अवधि के दौरान 1.74 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में आए. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि आने वाले वक्त में डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल के संदर्भ में एफपीआई के जल्द बाजार में खरीदार बनने की संभावना नहीं है.

सितंबर में भी दिखी थी बिकवाली

आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने छह अक्टूबर तक 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे. भारत इस साल एफपीआई को आकर्षित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में शीर्ष पर बना हुआ है, लेकिन सितंबर में बिकवाली देखी गई और अक्टूबर की शुरुआत भी इसी रुझान के साथ हुई है. मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने इस बिकवाली के लिए अमेरिका और यूरोजोन में आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बारे में बढ़ती चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया. इस परिदृश्य ने विदेशी निवेशकों को जोखिम से बचने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, महंगाई के स्थिर आंकड़ों और उम्मीद से अधिक समय तक ब्याज दर ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका से विदेशी निवेशकों ने इंतजार करो और देखो का रुख अपनाया. हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भारत में सामान्य से कम मानसून और मुद्रास्फीति पर इसका असर घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है, जिसे विदेशी निवेशक भी जानते होंगे. एफपीआई की बिकवाली की भरपाई घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) की खरीदारी से हुई. समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 2,081 करोड़ रुपये का निवेश किया. इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.12 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 31,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है.

Also Read: Share Market: मार्केट में आयी पैसे की बाढ़, अकेले टाटा ने कमाया 32,730.22 करोड़, जानें कैसे रहेगा ये सप्ताह

बाजार पूंजीकरण 86,234.73 करोड़ रुपये बढ़ा

ग्लोबल बाजार में उठापट की स्थिति के बीच भारतीय बाजार की शीर्ष पांच कंपनियों ने जमकर कमाई की है. देश की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में पांच का संयुक्त बाजार मूल्यांकन पिछले सप्ताह 86,234.73 करोड़ रुपये बढ़ गया. इसमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) सबसे अधिक लाभ में रही. टीसीएस के अलावा एचडीएफसी बैंक, इंफोसिस, हिंदुस्तान यूनिलीवर और बजाज फाइनेंस लाभ में रहे. दूसरी ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज, आईसीआईसीआई बैंक, आईटीसी, भारतीय स्टेट बैंक और भारती एयरटेल में गिरावट हुई. पिछले हफ्ते बीएसई सेंसेक्स 167.22 अंक या 0.25 फीसदी चढ़ गया. इस दौरान टीसीएस का बाजार मूल्यांकन 32,730.22 करोड़ रुपये बढ़कर 13,24,649.78 करोड़ रुपये हो गया. बजाज फाइनेंस ने 21,697.96 करोड़ रुपये जोड़े, जिससे उसका मूल्यांकन बढ़कर 4,94,884.37 करोड़ रुपये हो गया. इंफोसिस का मूल्यांकन 18,057.94 करोड़ रुपये बढ़कर 6,13,655.04 करोड़ रुपये और हिंदुस्तान यूनिलीवर का मूल्यांकन 7,730.16 करोड़ रुपये बढ़कर 5,87,104.12 करोड़ रुपये हो गया. एचडीएफसी बैंक का बाजार पूंजीकरण 6,018.45 करोड़ रुपये बढ़कर 11,63,164.31 करोड़ रुपये हो गया. दूसरी ओर रिलायंस इंडस्ट्रीज का मूल्यांकन 19,336.49 करोड़ रुपये घटकर 15,68,216.88 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक का मूल्यांकन 4,671.54 करोड़ रुपये घटकर 6,62,057.43 करोड़ रुपये रह गया. हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज देश की सबसे मूल्यवान कंपनी बनी रही.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

स्वस्तिक इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक प्रवेश गौड़ ने कहा कि सभी की निगाहें चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के कॉरपोरेट नतीजों पर होगी. टीसीएस के नतीजे 11 अक्टूबर को और एचसीएल टेक्नोलॉजीज तथा इंफोसिस के नतीजे 12 अक्टूबर को आएंगे. उन्होंने कहा कि बाजार प्रतिभागियों की नजर डॉलर के मुकाबले रुपये की चाल और कच्चे तेल की कीमतों पर भी रहेगी. विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का रुख भी बाजार को प्रभावित करेगा. उन्होंने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में व्यापक आर्थिक मोर्चे पर भी महत्वपूर्ण घोषणाएं होनी हैं. इसके तहत 12 अक्टूबर को अगस्त के लिए औद्योगिक उत्पादन और विनिर्माण उत्पादन के आंकड़े जारी किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि सितंबर के लिए मुद्रास्फीति दर की घोषणा की जाएगी, जिससे देश की आर्थिक सेहत के बारे में जानकारी मिलेगी. इसके अलावा 13 अक्टूबर को सितंबर के लिए थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़े आएंगे. कोटक सिक्योरिटीज लिमिटेड के इक्विटी शोध (खुदरा) प्रमुख श्रीकांत चौहान ने कहा कि बाजार आगामी तिमाही नतीजों से आगे के संकेत लेगा. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा कि इस सप्ताह से कारोबारियों की नजर आईटी और बैंकिंग क्षेत्रों के तिमाही नतीजों पर रहेगी.

(भाषा इनपुट के साथ)

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें