G-20 Summit की अध्यक्षता से भारत मिला बड़ा अवसर, व्यापार संबंध मजबूत बनाने में मिली मदद, जानें एक्सपर्ट की राय
G-20 Summit: विशेषज्ञों ने कहा कि इस बहुपक्षीय मंच की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि वह निवेश आकर्षित करने के लिए अपनी ताकत और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकता है.
G-20 Summit: जी20 की अध्यक्षता से भारत को सदस्य देशों के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करने में मदद मिल रही है. विशेषज्ञों ने यह राय देते हुए कहा है कि बुनियादी ढांचा जैसे क्षेत्रों में इन देशों से निवेश मिल रहा है. उन्होंने कहा कि भविष्य की वैश्विक आर्थिक वृद्धि और समृद्धि को हासिल करने में जी20 (20 देशों का समूह) की एक रणनीतिक भूमिका है. इसके सदस्य वैश्विक जीडीपी (Gross Domestic Product) का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत और विश्व की जनसंख्या का दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं. विशेषज्ञों ने कहा कि इस बहुपक्षीय मंच की अध्यक्षता करना भारत के लिए एक बड़ा अवसर है, क्योंकि वह निवेश आकर्षित करने के लिए अपनी ताकत और उपलब्धियों का प्रदर्शन कर सकता है. साथ ही इन बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के साथ अपने व्यापार संबंधों को मजबूत किया जा सकता है.
जी-20 में शामिल हैं 43 देश
वास्तव में जी 20 में 20 नहीं बल्कि 43 देश हैं, क्योंकि यूरोपीय संघ के 24 देशों को एक भागीदार के रूप में इसमें शामिल किया गया है. व्यापार विशेषज्ञों ने सरकार को ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए बातचीत में तेजी लाने का सुझाव दिया. शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के सह-संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि 2023 के पहले आठ महीनों में, यूरोपीय संघ ने जलवायु परिवर्तन और व्यापार पर पांच नियम पेश किए. जी20 देशों को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और व्यक्तिगत देशों को विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में जाने से पहले इसपर चर्चा करनी चाहिए.
‘डिजिटल अर्थव्यवस्था तलाशे जी-20’
शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के कार्यकारी चेयरमैन शार्दुल एस श्रॉफ ने कहा कि भारत को डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए वैश्विक मानक तय करने के लिए जी20 देशों के साथ एक साझा आधार तलाशना चाहिए. उन्होंने कहा कि साथ ही देश को सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और आईटी-आधारित सेवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपने वैश्विक ‘प्रभाव’ का उपयोग करना चाहिए. डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां निवेश और आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने के लिए वैकल्पिक स्थलों की तलाश कर रही हैं. भारत की जी20 अध्यक्षता से ऐसी कई कंपनियों को आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
अफ्रीका सर्वोच्च प्राथमिकता है: पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रभावशाली समूह जी-20 के शिखर सम्मेलन के आयोजन से कुछ दिन पहले कहा कि भारत 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं वाले इस समूह में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल करने का समर्थन करता है क्योंकि सभी आवाजों को प्रतिनिधित्व और स्वीकार्यता मिलने तक दुनिया के भविष्य के लिए कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती. मोदी ने एक विशेष साक्षात्कार में यह भी कहा कि अफ्रीका भारत के लिए ‘‘सर्वोच्च प्राथमिकता’’ है और वह वैश्विक मामलों में उन लोगों को शामिल करने के लिए काम करता है जिन्हें यह महसूस होता है कि उनकी आवाज़ नहीं सुनी जा रही है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ‘ग्लोबल साउथ’ या विकासशील देशों, विशेष रूप से अफ्रीकी महाद्वीप की चिंताओं, चुनौतियों और आकांक्षाओं को आगे रखते हुए खुद को एक अग्रणी आवाज के रूप में स्थापित कर रहा है.
‘जी-20 अध्यक्षता की थीम – ‘वसुधैव कुटुंबकम’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि मैं आपका ध्यान हमारी जी-20 अध्यक्षता की थीम – ‘वसुधैव कुटुंबकम – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की ओर आकर्षित करना चाहूंगा. यह सिर्फ एक नारा नहीं है, बल्कि एक व्यापक दर्शन है जो हमारे सांस्कृतिक ताने बाने से निकला है. अफ्रीकी संघ की जी-20 की सदस्यता के लिए भारत के प्रस्ताव संबंधी एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत के भीतर और दुनिया के प्रति भी हमारे दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करता है. जी-20 में अफ्रीकी संघ की सदस्यता के मुद्दे पर प्रधानमंत्री आगे बढ़कर नेतृत्व कर रहे हैं. गत जून महीने में मोदी ने जी-20 के नेताओं को पत्र लिखकर नई दिल्ली में होने वाले शिखर सम्मेलन में अफ्रीकी संघ को इस समूह की पूर्ण सदस्यता देने की पैरवी की थी.
अफ्रीका महाद्वीप के 55 देश हैं शामिल
इसके हफ्तों बाद जुलाई में कर्नाटक के हम्पी में हुई तीसरी जी-20 शेरपा बैठक के दौरान इस प्रस्ताव को औपचारिक रूप से शिखर सम्मेलन के मसौदा बयान में शामिल किया गया था. प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय 9 और 10 सितंबर को नई दिल्ली में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन में लिया जाएगा. अफ्रीकी संघ (एयू) एक प्रभावशाली संगठन है जिसमें अफ्रीका महाद्वीप के 55 देश शामिल हैं. प्रधानमंत्री ने जनवरी में भारत द्वारा ‘वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ’ शिखर सम्मेलन की मेजबानी का भी उल्लेख किया जिसका उद्देश्य विकासशील देशों के सामने आने वाली चुनौतियों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाना था. नरेंद्र मोदी ने कहा कि जी-20 के भीतर भी अफ्रीका हमारे लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। जी-20 की अध्यक्षता के दौरान हमने जो पहला काम किया, वह वॉयस ऑफ द ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन आयोजित करना था। इसमें अफ्रीका की उत्साहपूर्ण भागीदारी थी.
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