नई दिल्ली : भारत के साथ एशिया महादेश के सबसे बड़े अमीर शख्स और अडाणी समूह के चेयरमैन गौतम अडाणी से संपत्ति के मामले में एक नया मुकाम हासिल किया है. सबसे बड़ी बात यह है कि कोयला के कारोबार की ओर रुख करने से पहले हीरा के व्यवसाय में किस्मत आजमाने वाले गौतम अडाणी आज दुनिया के सबसे बड़े तीसरे अमीर आदमी कैसे बन गए, इस सफर के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं.
ऐसा पहली बार हुआ है, जब एशिया का कोई व्यक्ति ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के टॉप थ्री में शामिल हुआ है, जबकि भारत के प्रमुख उद्योगपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी और चीन के जैक मा भी इस मुकाम को हासिल नहीं कर पाए. गौतम अडाणी ने करीब 137.4 अरब डॉलर की संपत्ति के साथ फ्रांस के बर्नार्ड अरनॉल्ट को पीछे छोड़ दिया है. रैंकिंग के मामले में फिलहाल वे अमेरिका के एलन मस्क और जेफ बेजोस से ही पीछे रह गए हैं. आइए, जानते हैं कि भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम अडाणी ने इस मुकाम को कैसे हासिल किया…
एक उद्योगपति के तौर पर कोयले के कारोबार से उद्योग जगत में कदम रखते हुए 60 वर्षीय गौतम अडाणी ने बंदरगाह, डेटा सेंटर, सीमेंट उद्योग, मीडिया और एल्युमिना समेत कई क्षेत्रों में अपने उद्यम की शुरुआत की है. अडाणी समूह आज भारत के निजी क्षेत्र का सबसे बड़े बंदरगाह और हवाई अड्डे का संचालन करने के साथ ही शहरों में गैस वितरण कोयले के खनन का भी काम कर रहा है. हालांकि, खनन के क्षेत्र में अडाणी समूह को कारमाइकल खदान को लेकर पर्यावरणविदों की आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा. इन सबके बावजूद गौतम अडाणी ने पिछले साल के नवंबर महीने में दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा उत्पादक बनने के लिए हरित ऊर्जा में 70 बिलियन डॉलर के निवेश करने का वादा किया.
गौतम अडाणी को सिर्फ 16 साल की उम्र में कारोबार में हाथ आजमाने के लिए मुंबई जाना पड़ा. साल 1978 में वह मुंबई गए और हीरे का कारोबार शुरू किया, लेकिन 1981 में वह गुजरात लौट गए और अपने भाई की प्लास्टिक की फैक्ट्री में काम शुरू किया. साल 1988 में उन्होंने कमोडिटी का एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट करने वाली कंपनी के रूप में अडाणी एंटरप्राइजेज की शुरुआत की. साल 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडाणी का कारोबार जल्द ही विस्तारित हुआ और वह एक मल्टीनेशनल कारोबारी बन गए. साल 1995 का साल गौतम अडाणी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला. 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई. उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया में माइंस, पोर्ट और रेलवे जैसे कारोबार में कदम रखा. साल 2010 में उन्होंने इंडोनेशिया में माइनिंग कारोबार शुरू किया. साल 2011 में अडानी ग्रुप ने ऑस्ट्रेलिया के अबॉट पॉइंट कोल टर्मिनल को 2.72 अरब डॉलर में खरीदा.
सबसे बड़ी बात यह है कि भारत के प्रमुख उद्योगपति गौतम के लिए साल 2022 बेहतरीन साबित हुआ है. चालू साल में गौतम अडाणी की संपत्ति में तेजी से बढ़ोतरी दर्ज की गई. साल 2022 में उनकी कुल संपत्ति में करीब 60 बिलियन डॉलर से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई. इसके साथ ही, गौतम अडाणी ने इस साल फरवरी में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को पछाड़कर भारत के साथ-साथ एशिया के सबसे बड़े अमीर बने थे. वहीं, अप्रैल में पहली बार उनकी कुल संपत्ति 100 बिलियन डॉलर के पार पहुंच गई.
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पिछले कुछ महीने गौतम अडाणी के लिए कारोबारी मोर्चे पर बेहद सफल साबित हुए हैं. इस दौरान उन्होंने कई बड़े सौदों को पूरा करने में सफलता हासिल की. अभी हाल ही में मीडिया क्षेत्र की एक बड़ी कंपनी के अधिग्रहण की प्रक्रिया की खबर आने के बाद वे चर्चा में हैं. इससे पहले मई महीने में गौतम अडाणी की कंपनी ने होल्सिम का भारतीय सीमेंट कारोबार खरीदने की घोषणा की थी. यह सौदा करीब 10.5 बिलियन डॉलर में हुआ था. इस सौदे से अडाणी समूह ने भारतीय सीमेंट उद्योग में दूसरे स्थान पर पहुंचने में कामयाबी हासिल की. ऊर्जा के क्षेत्र में गौतम अडाणी की कंपनी अडाणी पावर ने इसी महीने थर्मल पावर प्लांट ऑपरेटर डीबी पावर को 7,017 करोड़ रुपये में खरीदने का सौदा किया है.
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