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गया के तिलकुट, भोजपुर के खुरमा और सीतामढ़ी के बालू शाही को मिलेगा जीआई टैग, नाबार्ड ने शुरू की प्रक्रिया

अभी हाल ही में बिहार से चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में हाजीपुर चिनिया किस्म के केले, नालंदा की लोकप्रिय बावन बूटी साड़ी और गया के पत्थर शिल्प को जीआई टैग देने के लिए आवेदन जमा कराए गए हैं.

नई दिल्ली/पटना : बिहार के प्रसिद्ध मिठाइयों में शुमार गया के तिलकुट, भोजपुर के खुरमा और सीतामढ़ी के बालू शाही को अब जल्द ही जीआई टैग (भौगोलिक संकेत) मिलने वाला है. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने इन तीनों लजीज मिठाइयों को जीआई टैग दिलाने की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है. इन तीनों मिठाइयों को जीआई टैग दिलाने के पीछे इनका उत्पादन और बिक्री के साथ ही भारत के घरेलू बाजार समेत वैश्विक स्तर प्रचार-प्रसार बढ़ाना है. इसके साथ ही, बताया यह भी जा रहा है कि जीआई टैग मिलने के बाद बिहार के इन तीनों शहरों का इनके नाम से दुनिया में एक नई पहचान मिलेगी. हालांकि, बिहार का गया शहर पैतृक और धार्मिक कार्यों को लेकर पहले से ही दुनिया में विख्यात है.

हाजीपुर के चिनिया केले को भी मिलेगी नई पहचान

बताते चलें कि अभी हाल ही में बिहार से चेन्नई स्थित जीआई रजिस्ट्री कार्यालय में हाजीपुर चिनिया किस्म के केले, नालंदा की लोकप्रिय बावन बूटी साड़ी और गया के पत्थर शिल्प को जीआई टैग देने के लिए आवेदन जमा कराए गए हैं. बिहार में नाबार्ड के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने बताया कि हाजीपुर का चिनिया केला, नालंदा की बावन बूटी साड़ी और गया के पत्थर शिल्प के लिए जीआई टैग की मांग के लिए पहले ही आवेदन भेजे जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि नाबार्ड के समर्थन से इन क्षेत्रों के कुशल पत्थर कारीगर, किसानों, बुनकरों और संगठनों ने आवेदन भेजे हैं.

नाबार्ड ने बढ़ाया सहयोग का हाथ

नाबार्ड के महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कि अब हम भोजपुर के उदवंतनगर के खुरमा, गया के तिलकुट और सीतामढ़ी जिले की बालू शाही मिठाई के लिए जीआई टैग मांगने वाले निर्माता और निर्माता संघों की सहायता कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके लिए आवेदन जल्द ही इन उत्पादों के लिए उत्पादकों द्वारा जीआई रजिस्ट्री को भेजे जाएंगे. उन्होंने कहा कि हम इन तीन उत्पादों के लिए जीआई रजिस्ट्रेशन के आवेदन करने वाले उत्पादक संघों को रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध करा रहे हैं.

छह दूसरे उत्पाद भी जीआई टैग के लिए चिह्नित

सुनील कुमार ने कहा कि नाबार्ड ने जीआई के रजिस्ट्रेशन के लिए खुरमा, तिलकुट और बालू शाही सहित क्षेत्र के छह संभावित उत्पादों की पहचान की है. बिहार राज्य स्वाद के लिए जाना जाता है, जहां स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ मिल सकते हैं. उन्होंने कहा कि नाबार्ड जीआई रजिस्ट्रेशन और जीआई टैग मिलने के बाद की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. उन्होंने कहा कि इन मिठाइयों और खाद्य पदार्थों की मार्केटिंग लिंकेज, ब्रांडिंग और प्रचार को तेज किया जा रहा है.

पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं तिलकुट, खुरमा और बालू शाही

महाप्रबंधक सुनील कुमार ने कहा कि भोजपुर का खुरमा भी विदेशियों को बहुत पसंद आता है. यह अंदर से मिठास के साथ-साथ इतना रसीला होता है कि स्वाद जीभ से मन तक को संतुष्ट कर देने वाला होता है. उन्होंने कहा कि यही हाल गया के प्रसिद्ध तिलकुट का भी है. तिल और गुड़ से बना अनोखा तिलकुट देश के बाहर भी काफी लोकप्रिय है. सीतामढ़ी के रून्नीसैदपुर इलाके की स्वादिष्ट मिठाई बालूशाही भी देश में बहुत लोकप्रिय है. उन्होंने कहा कि बिहार के इन उत्पादों को जीआई टैग मिलना चाहिए.

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बिहार के इन उत्पादों को भी मिल चुका है जीआई टैग

गौरतलब है कि अभी हाल ही में जीआई रजिस्ट्रेशन ने बिहार मखाना का नाम बदलकर मिथिला मखाना करने की याचिका को स्वीकार कर लिया है. इसके साथ ही बिहार के कतरनी चावल, जर्दालु आम, शाही लीची, मगही पान और सिलाओ का खाजा को पहले ही जीआई टैग मिल चुका है.

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