वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही में 2008 की महामंदी के स्तर पर पहुंची जीडीपी ग्रोथ रेट

देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 3.1 फीसदी पर आ गयी है. इससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 5.7 फीसदी रही थी. 2019-20 की चौथी तिमाही वृद्धि दर की यह गिरावट वर्ष 2008 की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है.

By Agency | May 29, 2020 9:55 PM

नयी दिल्ली : देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष 2019-20 की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) में घटकर 3.1 फीसदी पर आ गयी है. इससे पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह 5.7 फीसदी रही थी. 2019-20 की चौथी तिमाही वृद्धि दर की यह गिरावट वर्ष 2008 की महामंदी के बाद की सबसे बड़ी गिरावट है.

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राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी है. इस तरह पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी की वृद्धि दर गिरकर 4.2 फीसदी रह गयी है. उपभोग और निवेश में गिरावट की वजह से जीडीपी की वृद्धि दर का आंकड़ा नीचे आया है.

आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार 4.2 फीसदी रही है, जो इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में 6.1 फीसदी रही थी. यह 2008-09 के बाद जीडीपी की वृद्धि दर का सबसे कमजोर आंकड़ा है. 2008-09 में आर्थिक वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी.

कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए सरकार ने 25 मार्च को लॉकडाउन लगाया था. जनवरी-मार्च के दौरान दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त रहीं, जिसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा. रिजर्व बैंक ने 2019-20 में आर्थिक वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. एनएसओ ने इस साल जनवरी और फरवरी में जारी पहले और दूसरे अग्रिम अनुमान में वृद्धि दर 5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था.

इस बीच, सीएसओ ने बीते वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) के वृद्धि दर के आंकड़े को घटाकर 4.7 की जगह 4.1 फीसदी कर दिया है. इसी तरह, बीते वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही के आंकड़ों को भी क्रमश: 5.6 से कम कर 5.2 फीसदी और 5.1 की जगह 4.4 फीसदी किया गया है.

आंकड़ों के अनुसार, विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में चौथी तिमाही में 1.4 फीसदी की गिरावट आयी है, जबकि एक साल पहले की इसी तिमाही में इसमें 2.1 फीसदी की वृद्धि हुई थी. हालांकि, कृषि क्षेत्र का जीवीए चौथी तिमाही में बढ़कर 5.9 फीसदी पर पहुंच गया, जो एक साल पहले की इसी तिमाही में 1.6 फीसदी था.

इसके अलावा, निर्माण क्षेत्र का जीवीए चौथी तिमाही में 2.2 फीसदी घटा, जबकि एक साल पहले की इसी तिमाही में यह 6 फीसदी बढ़ा था. वहीं, खनन क्षेत्र की वृद्धि दर चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रही, जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में इसमें 4.8 फीसदी की गिरावट आयी थी.

आंकड़ों के अनुसार, चौथी तिमाही में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य सार्वजनिक सेवाओं की वृद्धि दर 4.5 फीसदी रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 5.5 फीसदी रही थी. इसी तरह व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में चौथी तिमाही में 2.6 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि एक साल पहले की इसी तिमाही में इन क्षेत्र की वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी.

चौथी तिमाही में वित्तीय, रीयल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं की वृद्धि दर 8.7 से घटकर 2.4 फीसदी रही गयी. लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं की वृद्धि दर में भी गिरावट आयी और यह 10.1 फीसदी पर आ गयी. एक साल पहले इसी तिमाही में यह 11.6 फीसदी रही थी.

आंकड़ों के अनुसार, चौथी तिमाही में स्थिर (2011-12) मूल्य पर जीडीपी 38.04 लाख करोड़ रुपये रही, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 36.90 लाख करोड़ रुपये रही थी. पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में वास्तविक जीडीपी या स्थिर मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद 145.66 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. 31 जनवरी, 2020 को जारी पहले संशोधित अनुमान में इसके 139.81 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया था.

मौजूदा मूल्य पर बीते वित्त वर्ष में प्रति व्यक्ति आय 1,34,226 रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है. यह इससे पिछले वित्त वर्ष के 1,26,521 करोड़ रुपये के आंकड़े से 6.1 फीसदी अधिक है. इस बीच, वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी अलग आंकड़ों के अनुसार कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते अप्रैल में आठ बुनियादी उद्योगों का उत्पादन 38.1 फीसदी घटा है.

Posted By : Vishwat Sen

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