Budget 2021 : आगामी 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण देश का आम बजट पेश करेंगी. देश के लाखों करदाताओं को उनसे ढेर सारी रियायतें पाने की उम्मीद है. लेकिन, आशंका यह भी जाहिर की जा रही है कि वर्ष 2020 में आर्थिक वृद्धि दर में भारी गिरावट होने की वजह से केंद्र सरकार अर्थव्यवस्था में कोरोना पूर्व मांग को वापस लाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कड़े कदम भी उठा सकती है.
इसका मतलब साफ है कि सरकार का मुख्य उद्देश्य मौजूद विभिन्न स्रोतों से अधिक से अधिक राजस्व जुटाना है. जहां तक आयकर की बात है, तो सवाल यह भी पैदा होता है कि क्या आयकरदाताओं को टैक्स स्लैब और आयकर की दरों में कोई तर्कसंगत बदलाव होगा या फिर क्या करदाताओं को कर की दरों में कटौती की उम्मीद की जानी चाहिए?
हालांकि, टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार की ओर से उठाए जाने वाले इस तरह के कदम से आम आदमी और बाजार को भी खुशी होगी. इस बात पर गौर करने की जरूरत है कि सरकार का यह कदम मौजूदा आर्थिक माहौल को देखते हुए उठाया गया है. इसलिए किसी को आयकर स्लैब या आयकर की दरों में किसी बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.
बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2020 में करदाताओं के लिए मौजूदा कर व्यवस्था के विकल्प के तौर पर नई कर व्यवस्था का पहले ही ऐलान कर दिया है. हालांकि, कुछ करदाता सरकार की नई कर व्यवस्था के तहत विकल्पों का चयन कर सकते हैं, लेकिन इससे संकेत यही मिलता है कि सरकार लंबी अवधि में छूट को कम करना चाहती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि वित्त मंत्री अगले कुछ वर्षों में आयकर दरों में कटौती करने का रोडमैप तैयार करती हैं, तो उसे सकारात्मक रूप से लिया जा सकता है. इससे पहले, मोदी सरकार के पहले कार्यकाल यानी 2014-19 के दौरान ही कॉरपोरेट कर की दरों के संबंध में रोडमैप तैयार किया जा चुका है.
Posted By : Vishwat Sen
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