Kumar Mangalam Birla: आदित्य बिड़ला ग्रुप के प्रमुख कुमार मंगलम बिड़ला ने जिस वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाते हुए करीब 1.86 करोड़ शेयरों की खरीद की, अंतरराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म ने उसके शेयरों की रेटिंग ‘सेल’ बरकरार रखते हुए इसके टारगेट प्राइस 2.5 रुपये प्रति शेयर कर दिया. इसका नतीजा यह हुआ कि शेयर बाजार में वोडाफोन-आइडिया का शेयर 52 हफ्तों के हाई 19.18 रुपये से गिरकर 13.52 रुपये प्रति शेयर के स्तर पर आ गया. वोडाफोन-आइडिया के शेयर खरीदने वालों में कुमार मंगलम बिड़ला के साथ एक और प्रमुख निवेशक पिलानी इन्वेस्टमेंट भी शामिल थे.
वोडाफोन-आइडिया का एंकर निवेशक बना था गोल्डमैन सैक्स
अंग्रेजी की वेबसाइट मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, अंतराष्ट्रीय ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स ने कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन-आइडिया को बेचने की अपनी अपील को दोहराकर सुर्खियां बटोरी थी. हालांकि, इंटरनेट के जानकार लोगों ने वोडफोन-आइडिया के हालिया एफपीओ दस्तावेजों को खंगाला, तो पाया कि गोल्डमैन सैक्स ने इस टेलीकॉम कंपनी के प्रस्ताव में एंकर निवेशक के रूप में भाग लिया था.
हिस्सेदारी गिरावट को रोकने में वोडाफोन-आइडिया नाकाम
इसके बाद 6 सितंबर 2024 को गोल्डमैन सैक्स ने संकटग्रस्त टेलीकॉम कंपनी वोडाफोन-आइडिया पर अपनी रेटिंग घटाने की पुष्टि की. ब्रोकरेज फर्म का मानना है कि देश की तीसरी सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी अपनी हालिया पूंजी जुटाने के बावजूद अपने बाजार हिस्सेदारी में लगातार हो रही गिरावट को रोकने में असमर्थ होगी. गोल्डमैन सैक्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हमारा विश्लेषण पूंजीगत व्यय और राजस्व बाजार हिस्सेदारी के बीच सीधा संबंध दर्शाता है और वोडाफोन-आइडिया के मुकाबले प्रतिस्पर्धियों की ओर से कम से कम 50% अधिक पूंजीगत व्यय किए जाने की उम्मीद है. इसे देखते हुए हम अगले 3-4 वर्षों में कंपनी के लिए 300 बीपीएस शेयर हानि का अनुमान लगाते हैं.
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कंपनी में धीरे-धीरे हिस्सेदारी बढ़ा रहे कुमार मंगलम बिड़ला
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुमार मंगलम बिड़ला की ओर से हिस्सेदारी की यह खरीदारी क्रीपिंग एक्विजिशन के तौर पर देखा जा सकता है. क्रीपिंग एक्विजिशन का मतलब है जब कोई व्यक्ति धीरे-धीरे समय के साथ कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2021 में बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनियामक बोर्ड (सेबी) ने क्रीपिंग एक्विजिशन की सीमा को 5% से बढ़ाकर 10% कर दिया था. हालांकि, यह छूट केवल प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट पर लागू थी और ट्रांसफर, ब्लॉक या बल्क डील्स पर लागू नहीं होती थी. यदि प्रमोटर ग्रुप एक वित्तीय वर्ष में क्रीपिंग एक्विजिशन की सीमा 5% को पार कर जाता है, तो टेकओवर नियम लागू होंगे.
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