नयी दिल्ली : पिछले साल के सितंबर महीने में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक घोटाला (PMC bank scam) उजागर होने के बाद बड़े पैमाने पर ग्राहकों को हुए नुकसान के मद्देनजर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को देश के सभी को-ऑपरेटिव बैंक और बहुराज्यीय सहकारी बैंकों की देखदेख की जिम्मेदारी भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को देने का फैसला किया है. सरकार के इस फैसले से को-ऑपरेटिव बैंकों के डिपॉजिटर्स को संतुष्टि और सुरक्षा मिलने की उम्मीद अधिक है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री (Minister of Information and Broadcasting) प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शहरी सहकारी बैंकों और बहु- राज्यीय सहकारी बैंकों को रिजर्व बैंक के बेहतर परिचालन के वास्ते रिजर्व बैंक के निरीक्षण के दायरे में लाया जाएगा. अब तक केवल वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank) ही रिजर्व बैंक के निरीक्षण के तहत आते रहे हैं, लेकिन अब सहकारी बैंकों का निरीक्षण भी रिजर्व बैंक करेगा.
जावड़ेकर ने कहा कि जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा की उनका पैसा सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि इस बारे में जल्द ही अध्यादेश जारी किया जाएगा. देश में कुल मिलाकर 1,482 शहरी सहकारी बैंक और 58 के करीब बहु- राज्यीय सहकारी बैंक है, जिनसे 8.6 करोड़ ग्राहक जुड़े हुए हैं. सरकार का यह कदम इस लिहाज से काफी अहम है कि पिछले कुछ समय में कई सहकारी बैंकों में घोटाले सामने आए हैं और इससे बैंक के जमाकर्ताओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है.
पंजाब एंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक में घोटोले का मामला हाल में काफी चर्चा में रहा. बैंक के जमाकर्ता ग्राहकों को घोटाले के बाद बैंक के कामकाज पर रोक लग जाने से काफी परेशानी उठानी पड़ी. इससे पहले, मंत्रिमंडल ने सहकारी बैंकों को मजबूत बनाने और पीएमसी बैंक जैसे संकट से बचने के लिए बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी है.
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दरअसल, पिछले साल पीएमसी बैंक घोटाले का पर्दाफाश हुआ था. यह मामला 4,355 करोड़ रुपये के घोटाले का था. बैंक के घोटाले का पर्दाफाश होने के बाद रिजर्व बैंक की ओर से प्रशासक नियुक्त करके पीएमसी बैंक से नकदी निकासी पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, जिसकी वजह से बैंक के ग्राहकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था. इसके साथ ही, बैंक के कई ग्राहकों को जान भी गंवानी पड़ी थी.
Posted By : Vishwat Sen
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