12 करोड़ लोगों का रोजगार बचाने के लिए सरकार ने MSME को दिये 3 लाख करोड़ का लोन, 5 प्वाइंट्स में जानिए पूरी बात…
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान देश के करीब 12 करोड़ लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार ने बुधवार को सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के लोन के साथ अन्य राहत पैकेज की घोषणा की है.
नयी दिल्ली : कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन के दौरान देश के करीब 12 करोड़ लोगों की नौकरियां बचाने के लिए सरकार ने बुधवार को सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के लोन के साथ अन्य राहत पैकेज की घोषणा की है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नयी दिल्ली में आयोजित एक प्रेसवार्ता के दौरान एमएसएमई इकाइयों के लिए आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान किया. इसमें उन्होंने एमएसएमई इकाइयों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार की ओर से उठाए गए छह अहम कदमों की चर्चा की. उन्होंने बताया कि सरकार की ओर से मुहैया कराए जा रहे आर्थिक पैकेज के तहत देश के करीब 45 लाख एमएसएमई इकाइयों को बिना गारंटी के ऑटोमैटिक लोन मिलेगा. इसके लिए सरकार ने करीब 3 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इसके साथ ही, लोन लेने के बाद इन कंपनियों को आगामी एक साल तक कर्ज की किस्त (ईएमआई) से छूट दी गयी है. वित्त मंत्री की ओर से बुधवार को किया गया यह ऐलान मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज का हिस्सा है.
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एमएसएमई इकाइयों को मिलेगा 3 लाख करोड़ रुपये का लोन : वित्त मंत्री ने एमएसएमई इकाइयों की राहत का ऐलान करते हुए कहा कि सरकार की ओर से 3 लाख करोड़ के फंड से 45 लाख एमएसएमई इकाइयों को दिये जाने वाले लोन से 2500 करोड़ तक वाली इकाइयों को फायदा होगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि संकट में फंसी करीब 2 लाख इकाइयों को कर्ज के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है. इससे करीब 2 लाख इकाइयों को फायदा होगा. इसके अलावा, उन्होंने एमएसएमई इकाइयों की सहायता के लिए करी ब 10,000 करोड़ रुपये के फंड ऑफ द फंड बनाने का भी ऐलान किया है. इस फंड ऑफ फंड्स के जरिये एमएसएमई इकाइयों में करीब 50,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी.
निवेश और टर्नओवर में वृद्धि के बावजूद खत्म नहीं होगा सूक्ष्म, लघु और मध्यम का दर्जा : एमएसएमई इकाइयों को राहत पहुंचाने वाले पैकेज का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जिन कंपनियों के निवेश और टर्न ओवर ज्यादा होंगे, उनके एमएसएमई का दर्जा समाप्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने कहा कि जिन इकाइयों में सालाना एक करोड़ रुपये निवेश और 5 करोड़ रुपये का टर्नओवर होगा, वे इकाइयां सूक्ष्म की श्रेणी में रखी जाएंगी. इसके अलावा, जिन इकाइयों का सालाना निवेश 10 करोड़ रुपये और 50 करोड़ रुपये तक का टर्नओवर होगा, वे इकाइयां लघु उद्यम वाली इकाइयों में शामिल की जाएंगी और जिन इकाइयों का सालाना निवेश 30 करोड़ रुपये और सालाना टर्नओवर 100 करोड़ रुपये तक होगा, वे इकाइयां मध्यम श्रेणी की इकाइयों शामिल की जाएंगी.
200 करोड़ रुपये तक टेंडर नहीं माना जाएगा ग्लोबल टेंडर : वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि चूंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में लोकल टू वोकल का जिक्र किया है, जिसका अर्थ यह है कि हमें मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है. इसके तहत एमएसएमई इकाइयों को विशेष छूट देने का प्रावधान किया गया है. अब यदि कोई एमएसएमई इकाई 200 करोड़ रुपये तक का टेंडर निकालती है, तो वह टेंडर ग्लोबल टेंडर में शामिल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही, इन कंपनियों की बाजार में पहुंच बनाने के लिए इन्हें ई-मार्केट से जोड़ा जाएगा.
45 दिनों के अंदर सरकारी कंपनियां करेंगी बकाया राशि का भुगतान : वित्त मंत्री ने अपने राहत पैकेज में इस बात का भी ऐलान किया कि यदि किसी एमएसएमई इकाइयों का किसी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के पास कोई बकाया है, तो उस बकाये का 45 दिनों के अंदर भुगतान किया जाएगा, ताकि इन इकाइयों को आर्थिक गतिविधियां शुरू करने में नकदी संकट का सामना न करना पड़े.
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