नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने देश के सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) में काम करने वाले करीब 12 करोड़ लोगों की नौकरी बचाने लिए बधुवार को 9.25 फीसदी की रियायती दर पर 3 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त ऋण उपलब्ध कराने की योजना को मंजूरी दे दी. कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित एमएसएमई क्षेत्र को यह कर्ज आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के तहत उपलब्ध कराया जाएगा. एमएसएमई क्षेत्र के लिए मंजूर की गयी तीन लाख करोड़ रुपये की यह आपात ऋण सुविधा केंद्र सरकार द्वारा घोषित 21 लाख करोड़ रुपये के पैकेज में शामिल दूसरी बड़ी घोषणा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कई किस्तों में इस पैकेज का ब्योरा जारी किया.
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि योजना के तहत 3 लाख रुपये तक का कर्ज दिया जाएगा, जिस पर नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी (एनसीजीटीसी) 100 फीसदी गारंटी कवर देगी. यह कर्ज पात्र एमएसएमई और मुद्रा योजना के तहत कर्ज लेने वालों को दिया जाएगा. यह कर्ज गारंटीशुदा आपात ऋण सुविधा (जीईसीएल) के तहत उपलब्ध कराया जाएगा. इसके लिए भारत सरकार 41,600 करोड़ रुपये का कोष उपलब्ध कराएगी. यह कोष चालू वित्त वर्ष के साथ ही अगले तीन वित्तीय वर्षों के लिए होगा.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में इस योजना को मंजूरी दी गयी. इसमें कहा गया कि योजना जीईसीएल के तहत मंजूर सभी कर्जों पर लागू होगी. योजना की अवधि इसकी घोषणा के दिन से लेकर 31 अक्टूबर तक या फिर जब तक योजना के तहत तीन लाख करोड़ रुपये तक के कर्ज मंजूर होते हैं, तब तक लागू रहेगी. इनमें से जो भी पहले होगा, तब तक योजना लागू रहेगी. इस योजना का मकसद देश के 45 लाख एमएसएमई को संकट की इस घड़ी में 3 लाख करोड़ रुपये तक की अतिरिक्त कर सुविधा उपलब्ध कराना है. यह वित्तपोषण पूरी तरह से गारंटीशुदा आपात ऋण सुविधा के रूप में उपलब्ध कराया जाएगा.
एमएसएमई की पात्रता के बारे में इसमें कहा गया है कि 100 करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वाली इकाइयां जिन पर 29 फरवरी को 25 करोड़ रुपये तक का बकाया है, जो वित्तीय दबाव की दृष्टि से विशेष उल्लेख (एसएमए) तक दायरे में हैं यानी जिन्हें अवरुद्ध खाता (एनपीए) नहीं घोषित किया गया था, वही जीईसीएल वित्तपोषण के तहत योजना का लाभ उठाने के पात्र होंगे.
इन पात्र एमएसएमई को उनके 29 फरवरी 2020 को 25 करोड़ रुपये तक के बकाये के 20 फीसदी तक ऋण दिया जा सकता है. इसके लिए एनपसीजीटीसी द्वारा ऋण देने वाले संस्थान से कोई भी गारंटी शुल्क नहीं लिया जाएगा. हालांकि, योजना के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए ब्याज दर को 9.25 फीसदी पर तय किया गया है. वहीं, एनबीएफसी के लिए यह 14 फीसदी होगी.
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