नई दिल्ली : सरकार ने वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बीच घरेलू स्तर पर उत्पादित होने वाले कच्चे तेल के साथ-साथ डीजल और विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात पर लगाए जाने वाले अप्रत्याशित लाभ कर में बढ़ोतरी की है. सरकार की ओर से दो जनवरी को जारी एक आदेश में कहा गया है कि ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर अप्रत्याशित लाभ कर को 1,700 रुपये प्रति टन से बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति टन कर दिया गया है. कच्चे तेल को परिष्कृत कर पेट्रोल, डीजल और एटीएफ जैसे ईंधन में बदला जाता है. हालांकि, सरकार ने पेट्रोल के निर्यात पर लगने वाले कर को समाप्त कर दिया है.
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र की मोदी सरकार ने डीजल के निर्यात पर भी कर को पांच रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 6.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है. इसी तरह एटीएफ के निर्यात पर इसे 1.5 रुपये प्रति लीटर को बढ़ाकर 4.5 रुपये प्रति लीटर किया गया है. कर की नई दरें तीन जनवरी से प्रभावी हैं. इससे पहले, 16 दिसंबर को पिछली समीक्षा में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट आने के मद्देनजर कर की दरों में कटौती की गई थी, लेकिन इसके बाद से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में तेजी आई है, जिसके चलते सरकार को कर बढ़ाना पड़ा.
बता दें कि भारत ने पहली बार एक जुलाई को अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था. इसके साथ ही, यह उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल हो गया था, जो ऊर्जा कंपनियों के अत्यधिक लाभ पर कर वसूलते हैं. उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर छह रुपये प्रति लीटर (12 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर (26 डॉलर प्रति बैरल) का निर्यात शुल्क लगाया गया था.
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घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (40 डॉलर प्रति बैरल) का अप्रत्याशित लाभ कर लगाया गया था. पेट्रोल पर निर्यात कर को समाप्त कर दिया गया है. कच्चे तेल की पिछले दो सप्ताह की औसत कीमत के आधार पर कर दरों की प्रत्येक पखवाड़े समीक्षा की जाती है.
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