केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों तथा वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से वित्त वर्ष 2021-22 में 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है. सरकार का अगले वित्त वर्ष में दो सरकारी बैंकों तथा बीमा कंपनी जीवन बीमा निगम (एलआईसी) में अपनी हिस्सेदारी की बिक्री का इरादा है.
अब एलआईसी की हिस्सेदारी बेचनी की खबर से पॉलिसीधारकों में बड़ी हलचल मच गयी है. हालांकि यह पहली बार नहीं हो रहा है, जब पॉलिसीधारकों में ऐसी स्थिति देखने के लिए मिल रही है.
दरअसल एलआईसी की पहुंच गांव-गांव तक है. लोग एलआईसी में निवेश को सबसे सुरक्षित मानते हैं और यही कारण है कि इसकी पॉलिसी लोग बिना कोई परेशानी के खरीदते हैं. वैसे में जबभी हिस्सेदारी बेचने की बात होती है, तो पॉलिसीधारकों में चिंता बढ़ जाती है. लेकिन जानकारों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से पॉलिसीधारकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
गौरतलब है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा कि जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) एक अप्रैल से शुरू हो रहे अगले वित्त वर्ष में आएगा.
सरकार ने एलआईसी के आईपीओ की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021-22 के बजट भाषण में कहा, 2021-22 में हम एलआईसी का आईपीओ भी लाएंगे, जिसके लिए मैं इस सत्र में आवश्यक संशोधन ला रही हूं. फिलहाल सरकार के पास एलआईसी की पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी है. ऐसी संभावना है कि बाजार पूंजीकरण के लिहाज से 8-10 लाख करोड़ रुपये के मूल्यांकन के साथ एलआईसी देश की सबसे बड़ी सूचीबद्ध कंपनी होगी.
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इसके अलावा सरकार 2021-22 में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण की योजना भी बना रही है. वित्त मंत्री ने कहा, आईडीबीआई बैंक के अलावा हम वर्ष 2021-22 में दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव रखते हैं. इसके लिए विधायी संशोधनों की आवश्यकता होगी और मैं इस सत्र में ही संशोधन पेश करने का प्रस्ताव करती हूं.
Posted By – Arbind kumar mishra
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