प्याज के दाम पर लगाम लगाए रखेगी सरकार, बफर स्टॉक में 3 लाख मीट्रिक टन करेगी जमा
भारत में अप्रैल से जून महीने तक प्याज की रबी फसल की कटाई की जाती है और अक्टूबर से नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होती है, जिससे उपभोक्ताओं की मांग पूरी की जाती है. सरकार की ओर से तैयार किए गए बफर स्टॉक को आम तौर पर खुले बाजार में लक्षित बिक्री के माध्यम से जारी किया जाता है.
नई दिल्ली : केंद्र की मोदी सरकार प्याज के दाम पर लगाम लगाए रखना चाहती है. इसीलिए सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के सीजन में बफर स्टॉक में करीब 3 लाख टन प्याज बनाए रखेगी. इससे पहले वर्ष 2022-23 में सरकार ने बफर स्टॉक के रूप में करीब 2.51 लाख मीट्रिक टन प्याज बनाए रखा था. बता दें कि सरकार की ओर से किसी भी वस्तु की कीमतों पर लगाम लगाने और आपात स्थिति से निपटने के लिए बफर स्टॉक बनाना पड़ता है, ताकि आपात स्थिति में किसी भी वस्तु की आपूर्ति सुचारू ढंग से की जा सके.
2022 में 2.51 लाख मीट्रिक टन प्याज की खरीद
केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को संसद को अपने लिखित जवाब में जानकारी दी है कि प्याज की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 में मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) के तहत रबी फसल से रिकॉर्ड 2.51 लाख मीट्रिक टन की खरीद की और इसे सितंबर 2022 और जनवरी 2023 के दौरान प्रमुख बिक्री केंद्रों को जारी किया. उन्होंने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रबी फसल वाली प्याज की खरीद को बढ़ाकर 3 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है.
अप्रैल-जून में होती रबी फसल की कटाई
बता दें कि भारत में अप्रैल से जून महीने तक प्याज की रबी फसल की कटाई की जाती है और अक्टूबर से नवंबर में खरीफ फसल की कटाई होती है, जिससे उपभोक्ताओं की मांग पूरी की जाती है. सरकार की ओर से तैयार किए गए बफर स्टॉक को आम तौर पर खुले बाजार में लक्षित बिक्री के माध्यम से जारी किया जाता है और कम आपूर्ति के मौसम के दौरान खुदरा दुकानों के माध्यम से आपूर्ति के लिए राज्यों, केंद्रशासित प्रदेशों और सरकारी एजेंसियों को जारी किया जाता है.
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किसानों को मिलेगा उचित मूल्य
बता दें कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 30 मार्च 2023 को जारी एक बयान में कहा था कि किसानों की प्याज फसल को उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए मैंने प्याज की खरीद पिछले साल के 2.5 लाख टन के मुकाबले बढ़ाकर इस साल तीन लाख टन करने का पहले ही आदेश दे दिया है. उन्होंने कहा कि नेशनल को-ऑपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन और नेशनल एग्रीकल्चरल को-ऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (नाफेड) को भी ‘देर से बुवाई वाली खरीफ’ फसल का स्टॉक खरीदने का निर्देश दिया गया है, लेकिन अभी बाजारों में उपज उपलब्ध नहीं है.
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