नई दिल्ली : भारत में बढ़ती आटा की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार की ओर से बड़े कदम उठाए जा रहे हैं. खाद्य मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी है कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अगले सप्ताह होने वाली तीसरी ई-नीलामी के दौरान आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को 11.72 लाख टन गेहूं की बिक्री पेशकश करेगा. एफसीआई ने घरेलू कीमतों की तेजी रोकने के लिए किए गए सरकारी प्रयासों के तहत मार्च अंत तक खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत थोक उपभोक्ताओं को 25 लाख टन गेहूं बेचने की योजना बनाई है.
खाद्य मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पिछले दो साप्ताहिक ई-नीलामी में लगभग 12.98 लाख टन गेहूं बेचा गया था. इसमें से 8.96 लाख टन पहले ही बोलीदाताओं द्वारा उठा लिया गया है. इसके परिणामस्वरूप गेहूं और आटा की खुदरा कीमतों में गिरावट आई है. खाद्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि एफसीआई 22 फरवरी को सुबह 11 बजे होने वाली तीसरी ई-नीलामी के दौरान देश भर के अपने 620 डिपो से 11.72 लाख टन गेहूं की बिक्री पेशकश करेगा. शुक्रवार रात 10 बजे तक एम-जंक्शन के ई-पोर्टल पर अपना पंजीकरण कराने वाले बोलीदाताओं को इस नीलामी में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी. बयाना राशि जमा करने और अपलोड करने की अंतिम तिथि 21 फरवरी दोपहर 2:30 बजे तक है.
सरकार ने शुक्रवार को गेहूं और आटे की कीमतों में कमी लाने के लिए ओएमएसएस योजना के तहत गेहूं की बिक्री के लिए आरक्षित मूल्य को और कम कर दिया. उचित और औसत (एफएक्यू) गुणवत्ता वाले गेहूं का आरक्षित मूल्य घटाकर 2,150 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है, जबकि अंडर रिलैक्स्ड स्पेसिफिकेशंस या कुछ कम गुणवत्ता वाले (यूआरएस) गेहूं का आरक्षित मूल्य 2,125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. ये नए आरक्षित मूल्य, ई-नीलामी के जरिए तीसरी बिक्री वाले गेहूं के लिए लागू हैं.
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मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पूरे देश में एक समान आरक्षित मूल्य में संशोधन की घोषणा से देश भर के उपभोक्ताओं को लाभ होगा और गेहूं और आटा की कीमतों में और कमी आएगी. देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा की गई सिफारिश के अनुसार, एफसीआई केंद्रीय पूल स्टॉक से कुल 30 लाख टन गेहूं स्टॉक को ओएमएसएस के तहत विभिन्न मार्गों से बाजार में जारी कर रहा है. इस 30 लाख टन में से एफसीआई 25 लाख टन आटा चक्की जैसे थोक उपभोक्ताओं को ई-नीलामी के माध्यम से बेचेगी, जबकि 2 लाख टन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को और 3 लाख टन संस्थानों और राज्य-सार्वजनिक उपक्रमों को रियायती दरों पर गेहूं को आटे में बदलने के लिए दिया जाएगा.
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