अब ऑनलाइन खाना मंगाना महंगा पड़ेगा. फूड डिलीवरी की सेवाओं को जीएसटी (GST) के दायरे में ले आया गया है. 17 सितंबर को लखनऊ में जीएसटी परिषद बैठक में यह फैसला लिया गया. 5 प्रतिशत जीएसटी एकत्र करने और जमा करने के लिए ज़ोमैटो और स्विगी जैसे खाद्य-वितरण प्लेटफार्म पर असर पड़ेगा.
कोरोना संक्रमण के दौरान घर पर खाना मंगाने का चलन बढ़ा. कोरोना महामारी के बाद यह आमने-सामने जीएसटी काउंसिल की होने वाली पहली बैठक थी. जिसमें यह अहम फैसला लिया गया. इससे पहले 18 दिसंबर 2019 को बैठक हुई थी. सरकार के इस फैसले से रेस्तरां से कर का संग्रहण बढ़ जायेगा.
कर विशेषज्ञों ने इस संबंध में बताया है कि अब रेस्तरां को दो अलग- अलग अकाउंट बनाने होंगे एक में सामान्य व्यापार का जिक्र होगा और दूसरा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से आपूर्ति करने के लिए.
मुख्य रूप से इसका असर 20 लाख रुपये से कम वार्षिक कारोबार वाले रेस्तरां को प्रभावित करेगा. यह पहले जीएसटी नहीं भरते थे लेकिन अब इसका हिसाब उन्हें देना होगा . ज़ोमैटो और स्विगी जैसे एग्रीगेटर्स के लिए ऑर्डर वॉल्यूम के साथ रेस्तरां के लिए डिलीवरी सेगमेंट पिछले साल के अंत में पूर्व-कोविड स्तरों के 120 प्रतिशत तक बढ़ गया.
सूत्रों की मानें तो इस संबंध में खाद्य-वितरण कंपनियां सरकार से बातचीत की रणनीति तैयार कर रही है. ऑनलाइन फूड डिलीवरी को लेकर लिये गये ताजा फैसले के बाद कुछ मुद्दों पर स्पष्टीकरण होना जरूरी है. कंपोजिशन स्कीम का विकल्प चुनने वालों को भी किस तरह का लाभ मिल सकता है इसे लेकर भी स्पष्टीकरण की योजना है.
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