Loading election data...

जीएसटी कलेक्शन की कमी को पूरा करने के लिए 13 राज्यों ने केंद्र को सौंपा कर्ज का विकल्प

जीएसटी संग्रह (GST collection) में कमी की क्षतिपूर्ति के लिये कुल 13 राज्यों ने केंद्र को कर्ज लेने के विकल्प सौंपे हैं. ये राज्य भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं जो विभिन्न मुद्दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं. इन 13 राज्यों में बिहार, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और मेघालय शामिल हैं. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसके अलावा छह राज्यों गोवा, असम, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश...एक-दो दिन में अपने विकल्प दे देंगे.

By Agency | September 14, 2020 7:51 AM

नयी दिल्ली : जीएसटी संग्रह (GST Collection) में कमी की क्षतिपूर्ति के लिये कुल 13 राज्यों ने केंद्र को कर्ज लेने के विकल्प सौंपे हैं. ये राज्य भाजपा शासित और उन दलों की सरकार वाले हैं जो विभिन्न मुद₨दों पर केंद्र की नीतियों का समर्थन करते रहे हैं. इन 13 राज्यों में बिहार, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और मेघालय शामिल हैं. वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इसके अलावा छह राज्यों गोवा, असम, अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम और हिमाचल प्रदेश…एक-दो दिन में अपने विकल्प दे देंगे.

चालू वित्त वर्ष में राज्यों को माल एवं सेवा (जीएसटी) संग्रह में 2.35 करोड़ रुपये के राजस्व कमी का अनुमान है. केंद्र के आकलन के अनुसार करीब 97,000 करोड़ रुपये जीएसटी क्रियान्वयन के कारण है जबकि शेष 1.38 लाख करोड़ रुपये के नुकसान की वजह कोविड-19 है. इस महामारी के कारण राज्यों के राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ा है.

केंद्र ने पिछले महीने राज्यों को दो विकल्प दिये थे. इसके तहत 97,000 करोड़ रुपये रिजर्व बैंक द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा से या पूरा 2.35 लाख करोड़ रुपये बाजार से लेने का विकल्प दिया गया था. साथ ही आरामदायक और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर 2022 के बाद भी उपकर लगाने का प्रस्ताव किया गया था. कुल 13 राज्यों में से 12 ने आरबीआई द्वारा उपलब्ध करायी जाने वाली विशेष सुविधा से कर्ज लेने का विकल्प चुना था.

ये राज्य..आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मेघालय, सिक्कम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और ओड़िशा हैं. अबतक केवल मणिपुर ने बाजार से कर्ज लेने का विकल्प चुना है. हालांकि गैर-भाजपा शासित राज्य जीएसटी राजस्व में कमी को पूरा करने के लिये कर्ज के विकल्प का विरोध कर रहे हैं. छह गैर-भाजपा शासित राज्यों…पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु ने केंद्र को पत्र लिखकर विकल्पों का विरोध किया है जिसके तहत राज्यों को कमी को पूरा करने के लिये कर्ज लेने की जरूरत होगी.

Also Read: 5 अक्टूबर को होने वाली जीएसटी परिषद की 42वीं बैठक में जारी रह सकती है गरमागरमी, ये हैं उसके अहम कारण

सूत्रों के अनुसार कुछ राज्यों ने कोई विकल्प का चयन किये बिना जीएसटी परिषद के चेयरपर्सन को अपने विचार दिये हैं. उन्होंने अबतक विकल्प पर निर्णय नहीं किया है. जीएसटी परिषद की 27 अगस्त, 2020 को हुई 41वीं बैठक में राज्यों को कर्ज लेने के दो विकल्प दिये गये ताकि वे वित्त मंत्रालय के समर्थन से एक ही ब्याज दर पर आरबीआई की विशेष सुविधा के जरिये ऋण लेकर राजस्व में कमी की भरपाई को पूरा कर सके.

Posted By : Pawan Singh

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version