GST Council Meeting: पेट्रोल-डीजल को जीएसटी दायरे में लाने पर चर्चा, कोरोना की 11 दवाओं पर कम होगा टैक्स
GST Council Meeting: वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को लखनऊ में सुबह 11 बजे जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी.
नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की बैठक आज यानी शुक्रवार को होगी, जिसमें चार दर्जन से अधिक वस्तुओं पर कर की दर की समीक्षा की जा सकती है और 11 कोरोना दवाओं पर कर छूट को 31 दिसंबर तक बढ़ाया जा सकता है. उम्मीद यह की जा रही है कि इस बैठक में पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा की जा सकती है.
जीएसटी परिषद की 17 सितंबर को लखनऊ में होने वाली बैठक के दौरान एकल राष्ट्रीय जीएसटी कर के तहत पेट्रोल और डीजल पर कर लगाने और जोमैटो तथा स्विगी जैसे खाद्य डिलीवरी ऐप को रेस्टोरेंट के रूप में मानने और उनके द्वारा की गई डिलीवरी पर पांच फीसदी जीएसटी लगाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जाएगा.
वित्त मंत्रालय ने ट्वीट किया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण शुक्रवार को लखनऊ में सुबह 11 बजे जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगी. बैठक में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के वित्त मंत्रियों और केंद्र सरकार तथा राज्यों के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी शामिल होंगे.
सूत्रों ने कहा कि इस बैठक में कोरोना से जुड़ी आवश्यक सामग्री पर शुल्क राहत की समयसीमा को भी आगे बढ़ाया जा सकता है. देश में इस समय वाहन ईंधन के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई पर हैं. वर्तमान में राज्यों द्वारा पेट्रोल, डीजल की उत्पादन लागत पर वैट नहीं लगता, बल्कि इससे पहले केंद्र द्वारा इनके उत्पादन पर उत्पाद शुल्क लगाया जाता है, उसके बाद राज्य उस पर वैट वसूलते हैं.
केरल हाईकोर्ट ने जून में एक याचिका पर सुनवाई के दौरान जीएसटी परिषद से पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के तहत लाने पर फैसला करने को कहा था. सूत्रों ने कहा कि अदालत ने परिषद को ऐसा करने को कहा है. ऐसे में इस पर परिषद की बैठक में विचार हो सकता है. देश में जीएसटी व्यवस्था एक जुलाई, 2017 से लागू हुई थी.
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जीएसटी में केंद्रीय कर मसलन उत्पाद शुल्क और राज्यों के शुल्क मसलन वैट को समाहित किया गया था, लेकिन पेट्रोल, डीजल, एटीएफ, प्राकृतिक गैस तथा कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया. इसकी वजह यह है कि केंद्र और राज्य सरकारों दोनों को इन उत्पादों पर कर से भारी राजस्व मिलता है.
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