GST: होटल के रेस्टोरेंट में ज्यादा जीएसटी पर व्यापारियों ने जतायी चिंता, टूरिज्म सेक्टर को लेकर कही ये बात
GST: सरकार ने होटल के कमरों के साथ में जीएसटी के रेट को जोड़ दिया है. इसका अर्थ है कि अगर आप स्टैंड अलोन होटल में खाना खाते हैं तो आपको जीएसटी 5 प्रतिशत देना होगा. जबकि, होटल जहां रहने की व्यवस्था हो वहां, ग्राहको को रेस्टोरेंट सेवा पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है.
GST: भारत में साल 2023 में होटल-रेस्टोरेंट का कारोबार काफी तेजी से बढ़ा है. इस साल देश में दो बड़े इवेंट- जी 20 की बैठक और विश्व कप के सफल आयोजन ने आतिथ्य क्षेत्र को एक नयी ऊंचाई प्रदान की है. जो कोविड काल से पहले के स्तर से ऊपर पहुंच गयी है. हालांकि, ऐसे होटल जिनमें रेस्टोरेंट सेवा भी है, उनके मालिक अब चिंता में हैं. दरअसल, सरकार ने होटल के कमरों के साथ में जीएसटी के रेट को जोड़ दिया है. इसका अर्थ है कि अगर आप स्टैंड अलोन होटल में खाना खाते हैं तो आपको जीएसटी 5 प्रतिशत देना होगा. जबकि, होटल जहां रहने की व्यवस्था हो वहां, ग्राहको को रेस्टोरेंट सेवा पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना पड़ता है. परेशानी की बात ये है कि 18 प्रतिशत जीएसटी देने के लिए वो ग्राहक भी बाध्य हैं जो उस होटल में रह नहीं रहे होते हैं और केवल रेस्टोरेंट सेवा का उपयोग करते हैं. इससे होटल में रेस्टोरेंट कारोबार पर बड़ा असर पड़ा है. फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष प्रदीप शेट्टी बताते है कि मौजूदा सिस्टम जहां रेस्टोरेंट के लिए GST रेट होटल के कमरों से जुड़े हुए हैं, वो अन्यायपूर्ण, अनिश्चित्ता और घाटा कराने वाला है. इससे टूरिज्म सेक्टर पर असर पड़ सकता है.
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रेस्टोरेंट व्यापार पर रहा असर
मसूरी में हिल व्यू होटल रेस्टोरेंट के मालिक, अरविंद पेटवाल बताते हैं कि सरकार के फैसले से रेस्टोरेंट कारोबार पर असर पड़ा है. केवल होटल के कमरों के किराये से व्यापार करना संभव नहीं है. होटल में रहने वाले पर्यटक खाने के लिए बाहर जाते हैं. लिहाजा असर कारोबार पर पड़ता है. होटल व्यापार में आमदनी कमरों का किराया और रेस्टोरेंट से रेवेन्यू का लगभग 50-50 अनुपात है. जीएसटी के कारण दूसरा हिस्सा प्रभावित हो रहा है. वहीं, प्रदीप शेट्टी बताते हैं कि होटल के रेस्टोरेंट में 18 प्रतिशत जीएसटी का परसेप्शन ग्राहकों के मन में है. इससे वो हतोत्साहित होते हैं, भले ही होटल के रेस्टोरेंट में स्टैंडअलोन रेस्टोरेंट की तुलना में मेन्यू आइटम्स सस्ते हों. दूसरे एशियाई देश जैसे थाईलैंड, मलेशिया और सिंगापुर जहां पर्यटकों की संख्या काफी ज्यादा है, वहां टैक्स रेट काफी कम है. ऐसे में ग्लोबल मार्केट कंपटिशन में इसका असर देखने को मिल सकता है. हॉस्पिटैलिटी में नए साल में हालांकि दीर्घकालिक कोष पहुंच, उच्च जीएसटी दरें, प्रतिभा अधिग्रहण तथा जटिल व्यावसायिक प्रक्रिया जैसे मुद्दे चिंता का विषय बन सकते हैं.
राजस्व में 15-20 प्रतिशत हुई वृद्धि
होटल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एचएआई) के अध्यक्ष पुनीत छतवाल इस क्षेत्र ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 की पहली छमाही में राजस्व प्रति उपलब्ध कक्ष (रेवपार) में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है. इसके वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में 15-20 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है. फेडरेशन ऑफ होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FHRAI) के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रदीप शेट्टी ने कहा कि पिछले वर्ष ने अभूतपूर्व चुनौतियों से निपटने में इस क्षेत्र के लचीलेपन को प्रदर्शित किया, खासकर यात्रा व्यापार के पुनरुद्धार को लेकर जी20 के आयोजनों ने भारतीय पर्यटन क्षेत्र को बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जो 2023 के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है. फॉर्च्यून होटल्स के प्रबंध निदेशक समीर एमसी ने कहा कि हम छोटे कस्बों और शहरों में बड़े पैमाने पर संभावनाएं देखते हैं जो रोमांचक अवसर पेश करते हैं. हमने 2023 में पर्यटन क्षेत्र में एक पुनरुत्थान देखा है, जो घरेलू यात्रा तथा अंतरराष्ट्रीय आगंतुकों की क्रमिक वापसी के दम पर संभव हो पाया. वैश्विक महामारी के बाद उद्योग को भविष्य में पेश होने वाली हर चुनौती के लिए तैयार कर दिया गया है. यह सकारात्मक गति हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है.
लोगों के यात्रा की संख्या बढ़ी
महिंद्रा हॉलिडेज एंड रिसॉर्ट्स इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ कविंदर सिंह ने कहा कि आरामदायक यात्रा, पर्यावरण के प्रति जागरूकता, सप्ताहांत अवकाश तथा परिवार के साथ अच्छा समय बिताने की इच्छा से लोगों के यात्रा करने की संख्या बढ़ी है. क्षेत्र की दीर्घकालिक संभावनाओं पर आशावान सिंह ने कहा कि हमारे रणनीतिक उद्देश्य के अनुरूप हमारा लक्ष्य वित्त वर्ष 2030 तक कमरों की संख्या को करीब 5,000 से दोगुना करके 10,000 करना है. इसी तरह इरोज़ होटल (नई दिल्ली) के महाप्रबंधक देविंदर जुज ने कहा कि कंपनी 2023 की सफलता के आधार पर 2024 में विकास की संभावनाओं को लेकर आशावादी है. भारत के आतिथ्य क्षेत्र के 2024 में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने और आने वाले अवसरों को भुनाने की दिशा में आगे बढ़ने की उम्मीद है.
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