SBI को कोर्ट की फटकार: 31 पैसे ड्यूज रहने पर किसान को नहीं दिया एनओसी, जज साहब ने कहा – यह तो हद ही हो गई

जस्टिस भार्गव करिया ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए एसबीआई के प्रति नाराजगी जताई. जस्टिस करिया ने कहा कि यह तो हद ही हो गई.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 28, 2022 9:15 PM

अहमदाबाद : देश में सबसे बड़े सरकारी कर्जदाता बैंक एसबीआई (भारतीय स्टेट बैंक) को गुजरात हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है. अदालत ने जमीन सौदे के एक मामले में एक किसान पर केवल 31 पैसे बाकी रह जाने के बाद एनओसी (नो ड्यूज सर्टिफिकेट) जारी नहीं करने पर बैंक को खरी-खरी सुनाई है. अदालत ने बैंक से स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह उत्पीड़न के सिवा और कुछ नहीं है.

जस्टिस भार्गव करिया ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए एसबीआई के प्रति नाराजगी जताई. जस्टिस करिया ने कहा कि यह तो हद ही हो गई, एक नेशनलाइज बैंक कहता है कि महज 31 पैसे बकाया रह जाने के कारण एनओसी नहीं जारी किया जा सकता. याचिकाकर्ता राकेश वर्मा और मनोज वर्मा ने अहमदाबाद शहर के पास खोर्जा गांव में किसान शामजीभाई और उनके परिवार से वर्ष 2020 में जमीन का एक टुकड़ा खरीदा था.

किसान के बकाया चुकता करने के बावजूद नहीं दिया एनओसी

शामजीभाई ने एसबीआई से लिए गए फसल ऋण को पूरा चुकाने से पहले ही याचिकाकर्ता को जमीन तीन लाख रुपये में बेच दी थी. ऐसे में जमीन के उस टुकड़े पर बैंक के बकाया शुल्क के कारण याचिकाकर्ता (जमीन के नये मालिक) राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम नहीं दर्ज करवा सकते थे. हालांकि, किसान ने बाद में बैंक का पूरा कर्ज चुकता कर दिया, लेकिन इसके बावजूद एसबीआई ने एनओसी जारी नहीं किया.

बैंक ने अदालत में एनओसी देने से किया इनकार

इसके बाद, जमीन के नए मालिक स्वामी वर्मा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. बुधवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस करिया ने बैंक का बकाया नहीं होने का सर्टिफिकेट अदालत में पेश करने का आदेश दिया. इस पर एसबीआई के वकील आनंद गोगिया ने कहा कि यह संभव नहीं है, क्योंकि किसान पर अब भी 31 पैसे का बकाया है. यह प्रणालीगत मामला है.

Also Read: स्कैन या स्कैम? एसबीआई ने सभी बैंकों के खाताधारकों को किया आगाह.. आप भी हो जाएं सावधान

अदालत ने मैनेजर को पेश होने का दिया आदेश

बैंक के इस जवाब पर जस्टिस करिया ने कहा कि 50 पैसे से कम की राशि को नजरअंदाज करके इस मामले में एनओसी जारी करना चाहिए, क्योंकि किसान ने पहले ही पूरा कर्ज चुका दिया है. वहीं, जब गोगिया ने कहा कि प्रबंधक ने एनओसी नहीं देने के मौखिक आदेश दिए हैं, तो जस्टिस करिया ने नाराजगी जताते हुए अधिवक्ता को निर्देश दिया कि वह प्रबंधक को अदालत में पेश होने के लिए कहे. उन्होंने कहा कि बैंकिंग नियामक कानून कहता है कि 50 पैसे से कम की रकम की गणना नहीं की जानी चाहिए. ऐसे में, आप लोगों का उत्पीड़न क्यों कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि यह प्रबंधक द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न के अलावा और कुछ नहीं है.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

Next Article

Exit mobile version