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आधा भारत नहीं जानता पे-इन और पे-आउट रूल, जानने पर बन जाएगा बाजार का बड़ा खिलाड़ी

Pay-In: पे-इन और पे-आउट का नेटिंग: पे-आउट को पहले उसी सेगमेंट में किसी भी बकाया पे-इन राशि के बदल एडस्ट किया जाएगा. ईएटीएम पे-आउट आपके इक्विटी, फ्यूचर एंड ऑप्शन और कमोडिटी सेगमेंट में नकारात्मक बची हुई राशि को आवंटित किया जाएगा.

Pay-In: क्या डी-मैट अकाउंट के खोलकर किसी कंपनी के शेयर में पैसा लगाते हैं? अगर आप शेयर बाजार में अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लगाकर मोटा मुनाफा कमाना चाहते हैं, तो आपको बाजार की बारीकियों और बारीक नियमों को समझ लेना चाहिए. जानकारी के अभाव में आप गच्चा भी खा सकते हैं. ब्रोकरेज हाउसेज खुदरा निवेशकों और डी-मैट खाताधारकों से समय-समय पर इन बारीक जानकारियों को साझा करते रहते हैं. जो निवेशक उसे नजरअंदाज कर देते हैं, वे निकट भविष्य में गच्चा खा जाते हैं. इन्हीं बारीक नियमों में से एक पे-इन और पे-आउट रूल भी है. शेयर बाजार में कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाने वाले आधा भारत के डी-मैट खाताधारक पे-इन और पे-आउट के बारे में नहीं जानते. आइए, पे-इन और पे-आउट के बारे में जानते हैं.

क्या है पे-इन और पे-आउट

पे-इन: आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज के अनुसार, पे-इन वह पैसा है, जिसे आपको किसी शेयर (स्टॉक, फ्यूचर्स या कमोडिटी) की खरीदारी करते समय जमा करना या भुगतान करना होता है या इसके जरिए मार्जिन जरूरतों को पूरा करना होता है. आसान तरीकें से समझें, तो अगर आप 50,000 रुपये मूल्य के शेयर खरीदते हैं, तो लेनदेन को निपटाने के लिए आपको जो राशि चुकानी होगी, वह आपका पे-इन है.

पे-आउट: पे-आउट वह पैसा है, जो आपको सिक्योरिटी बेचते या पोजीशन बंद करते समय मिलता है. यह आपके ट्रेड पर किसी भी लाभ या रिटर्न को दर्शाता है. आसान तरीके से आप ऐसे समझ सकते हैं कि यदि आप 60,000 रुपये मूल्य के शेयर बेचते हैं, तो वह पे-आउट कहलाएगा. यह वह पैसा है, जो पे-इन दायित्वों (यदि कोई हो) के एडजस्टमेंट के बाद आपके खाते में जमा किया जाता है.

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पे-इन और पे-आउट नियमों में बदलाव

  • पे-इन और पे-आउट का नेटिंग: पे-आउट को पहले उसी सेगमेंट में किसी भी बकाया पे-इन राशि के बदले एडस्ट किया जाएगा. बाकी पे-आउट का इस्तेमाल फ्यूचर एंड ऑप्शन और कमोडिटी जैसे दूसरे सेगमेंट में बकाया राशि को एडजस्ट करने के लिए किया जाएगा. मान लें कि अगर आपके पास इक्विटी में पे-आउट के रूप में 50,000 रुपये और फ्यूचर एंड ऑप्शन में पे-इन के रूप में 30,000 रुपये बकाया हैं, तो आपको एडजस्ट करने के बाद 20,000 रुपये मिलेंगे.
  • ईएटीएम पे-आउट आवंटन: ईएटीएम पे-आउट आपके इक्विटी, फ्यूचर एंड ऑप्शन और कमोडिटी सेगमेंट में नकारात्मक बची हुई राशि को आवंटित किया जाएगा. मान लीजिए कि यदि किसी ग्राहक का ईएटीएम पे-आउट 1,00,000 रुपये है और इक्विटी सेगमेंट की ऋणात्मक सीमा 20,000 रुपये, फ्यूचर एंड ऑप्शन की ऋणात्मक सीमा 30,000 रुपये, और कमोडिटी की ऋणात्मक सीमा 10,000 रुपये है, तो इसमें 20,000 रुपये इक्विटी को, 30,000 रुपये फ्यूचर और ऑप्शन को और 10,000 रुपये कमोडिटी को आवंटित किए जाएंगे. बाकी के बचे हुए 40,000 रुपये को उपलब्ध निःशुल्क आवंटन के बदले एडजस्ट किया जाएगा.
  • रनिंग अकाउंट ऑथराइजेशन खातों के नियम: किसी भी सेगमेंट (इक्विटी, फ्यूचर एंड ऑप्शन, और कमोडिटी) में ऋणात्मक सीमा को निःशुल्क सीमा वाले दूसरे सेगमेंट से एडजस्ट किया जाएगा. मान लीजिए कि रनिंग अकाउंट ऑथराइजेशन खाते में इक्विटी की नकारात्मक सीमा 5000 रुपये, फ्यूचर एंड ऑप्शन की नकारात्मक सीमा 2,000 रुपये और कमोडिटी की सकारात्मक सीमा 10,000 रुपये है, तो सिस्टम इक्विटी और फ्यूचर एंड ऑप्शन के नकारात्मक दायित्व को साफ करने के लिए कमोडिटी सेगमेंट से 7000 रुपये को एडजस्ट किया जाएगा.

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Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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