Reliance Capital: हिंदुजा समूह की कंपनी इंडसइंड इंटरनेशनल होल्डिंग लिमिटेड (IIHL) को हाल ही में संपन्न नीलामी में रिलायंस कैपिटल के अधिग्रहण के लिए लिए प्रमुख विदेशी उधारदाताओं से 50 हजार करोड़ रुपये का प्रस्ताव मिला है. बताते चलें कि IIHL ने रिलायंस कैपिटल को खरीदने के लिए 9650 करोड़ का अग्रिम नकद प्रस्ताव दिया है. हिंदुजा के अलावा इस रेस में टोरेंट इन्वेस्टमेंट्स और ओकट्री कैपिटल शामिल थीं. हालांकि, इन दोनों ने बोलियां जमा नहीं कीं. लेकिन, उन्होंने पहले संकेत दिया था कि वे इस प्रक्रिया में भाग लेंगे.
आईआईएचएल को कुछ प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान ने वचनबद्धता पत्र दिया है. इनमें जेपी मॉर्गन, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, बार्कलेज, अपोलो ग्लोबल मैनेजमेंट, वर्डे पार्टनर्स, और फरलॉन कैपिटल शामिल हैं. आईआईएचएल ने ऋण और इक्विटी के संयोजन के माध्यम से 10000 करोड़ रुपये के रिलायंस कैपिटल अधिग्रहण को निधि देने की योजना बनाई है. ऋण इक्विटी अनुपात 80:20 होने का अनुमान है. जानकारी के मुताबिक, आईआईएचलएल रिलायंस कैपिटल के लिए 10 हजार करोड़ रुपये की पेशकश कर रहा है. जबकि, कंपनी का परिसमापन मूल्य और उचित मूल्य क्रमश: 13000 और 17000 करोड़ रुपये आंका गया है.
बताते चलें कि मॉरीशस स्थित आईआईएचएल हिंदुजा समूह की होल्डिंग निवेश शाखा है और इसका मुख्यालय यूके में है. कई क्षेत्रों और कंपनियों में विभिन्न निवेशों के अलावा आईआईएचल के पास समूह के स्वामित्व वाले इंडसइंड बैंक में 12.58 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है. लगभग 88000 करोड़ रुपये के मौजूदा बाजार पूंजीकरण पर इंडसइंड बैंक में आईआईएचल की हिस्सेदारी का मूल्य लगभग 11000 करोड़ रुपये अनुमानित है. इसके अलावा, 2200 करोड़ रुपये के शुद्ध संपत्ति मूल्य के साथ आईआईएचएल ने आईटी, आवास ऋण, वाहन वित्त और मीडिया सेवाओं सहित सेवाओं और क्षेत्रों की एक विस्तृत श्रृंखला में निवेश किया है.
फोर्ब्स की 2022 की रेटिंग के अनुसार, 1.24 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ हिंदुजा बंधु आठवें सबसे अमीर भारतीय हैं. द संडे टाइम्स यूके रिच लिस्ट 2022 ने हिंदुजा परिवार को ब्रिटेन के सबसे धनी लोगों की रैंकिंग दी है. हिंदुजा समूह 2.90 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति के साथ सूची में सबसे ऊपर है. वहीं, अनिल अंबानी की ओर से स्थापित वित्तीय सेवा कंपनी के पास करीब 400 करोड़ रुपये का कैश बैलेंस है. इस प्रकार, उधारदाताओं के लिए वसूली 10000 करोड़ रुपये से ऊपर होगी.
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